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कोरोना वैक्सीनेशन में वकीलों को प्राथमिकता, HC ने कहा-‘किसी को बिना बंदूक के युद्ध में नहीं भेज सकते’

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि कानूनी सहायता वकील और न्यायिक अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने के लिए काम कर रहे हैं और इन लोगों का कोविड-19 महामारी से बचाव करने की जरूरत है।

देशव्यापी कोरोना वैक्सीनेशन में वकीलों को प्राथमिकता के विषय पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि  ‘किसी को बिना बंदूक के युद्ध में नहीं भेज सकते’। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा कि जेलों में भीड़भाड़ कम करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करवाने के लिए काम कर रहे विधिक सहायता वकील एवं न्यायिक अधिकारी, जो 18 से 44 वर्ष आयुवर्ग में आते हैं, क्या वे जिला अदालतों में लगाए गए केंद्रों पर टीका लगवाने सीधे आ सकते हैं। 
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) की याचिका पर सुनवाई के वक्त यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि कानूनी सहायता वकील और न्यायिक अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने के लिए काम कर रहे हैं और इन लोगों का कोविड-19 महामारी से बचाव करने की जरूरत है।
डीएसएलएसए की ओर से अधिवक्ता अजय वर्मा ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया है कि केंद्र तथा दिल्ली सरकार को न्यायिक अधिकारियों एवं कानूनी सहायता वकीलों का जिला अदालतों में बनाए गए टीकाकरण केंद्रों पर तत्काल टीकाकरण करने का निर्देश दिया जाए। 
केंद्र सरकार ने पीठ को सूचित किया कि वर्तमान में वकीलों को टीकाकरण में प्राथमिकता देने के लिए अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी के तौर पर उनके लिए अलग से कोई वर्गीकरण नहीं है। उसने कहा कि कानूनी सहायता वकीलों के टीकाकरण का मुद्दा देशभर में चिंता का विषय बना हुआ है। 
अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने कोर्ट को यह भी बताया कि टीकाकरण की पहली और दूसरी खुराक के बीच एक महीने से अधिक का अंतर है और इस अवधि में कानूनी सहायता वकीलों का कोविड-19 के खतरे से सामना हो सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि शर्मा की बात सही है और यदि इन वकीलों को प्राथमिकता के आधार पर टीके की पहली खुराक मिल जाती है तो इससे उन्हें कुछ तसल्ली तो मिलेगी। 
हाई कोर्ट ने कहा, ‘‘हम जो भी दे सकते हैं, कम से कम वह तो हमें उन्हें देना चाहिए।’’ दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष के. त्रिपाठी ने कोर्ट से कहा कि 45 वर्ष या अधिक आयु के वकील एवं न्यायिक अधिकारी जिला अदालतों में बने टीकाकरण केंद्रों पर सीधे जा सकते हैं हालांकि यह व्यवस्था 18 से 44 वर्ष आयुवर्ग के वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि 18 से 44 वर्ष आयुवर्ग के लोगों को टीकाकरण के लिए सीधे पहुंचने की अनुमति देने का दिल्ली सरकार को अधिकार नहीं है इस बाबत फैसला केंद्र को लेना है।

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