नई दिल्ली : दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत 22 हजार से अधिक गेस्ट टीचर्स अनुबंध खत्म होने के बाद बेरोजगार हो गए हैं। 58 वर्ष की पॉलिसी लाने की मांग को लेकर बीते सात दिनों से उप मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर धरना प्रदर्शन करने से कुछ बात बनती दिखाई न देने से गुरुवार को हजारों की तादाद में गेस्ट टीचर्स उप राज्यपाल (एलजी) के दरबार पहुंच गए। हालांकि उन्हें यहां भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
जानकारी के मुताबिक एलजी कार्यालय की तरफ से यह कहा गया है कि 58 वर्ष की पॉलिसी संबंधित कैबिनेट नोट उनके पास नहीं आया है। भले ही शिक्षा निदेशालय ने बुधवार को एक ऑर्डर जारी कर टीचर्स को पक्का करने संबंधित दिल्ली हाईकोर्ट में दायर शपथपत्र पर सुनवाई की अगली तारीख 29 मार्च तक गेस्ट टीचर्स को सेवा जारी रखने की अनुमति दे दी है, लेकिन गेस्ट टीचर्स इससे नाखुश नजर आ रहे हैं।
कॉन्ट्रैक्ट खत्म, गेस्ट टीचर्स का हल्ला बोल
ड्यूटी पर लौटने का दबाव
टीचर्स ने बताया कि कुछ स्कूलों में यह भी आदेश जारी किया गया है कि अगर गेस्ट टीचर्स शिक्षा निदेशालय के निर्देशानुसार सेवा जारी नहीं रखते हैं या सेवा पर नहीं लौटते हैं तो शिक्षा निदेशालय द्वारा नए पैनल से गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की जाएगी। गेस्ट टीचर्स का कहना है कि शिक्षा निदेशालय अब चेतावनी देने पर उतर आया है जो कि सरासर गलत है।
जारी की जाए खाली पदों वाले स्कूलों की सूची
राजधानी के सरकारी स्कूलों में हाल ही में कई प्राथमिक(प्राइमरी) शिक्षकों को टीजीटी में पदोन्नति मिली है। जल्द ही इनकी स्कूलों में पोस्टिंग भी होने वाली है। पर शिक्षकों में नाराजगी दिख रही है, जिसकी वजह उन्हें खाली पदों वाले स्कूलों की सूची न दिखाए जाने को माना जा रहा है।