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लाइसेंस जारी कर पल्ला झाड़ लेता है फैक्ट्री निदेशालय

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पश्चिमी दिल्ली : बवाना अग्निकांड में इतनी बड़ी संख्या में गई जानों पर राजनीतिक रोटियां सेके जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। वहीं, दूसरी ओर यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या दिल्ली सरकार का काम केवल फैक्ट्रियों को लाइसेंस बाटना ही है। लाइसेंस जारी करने के बाद उनकी जिम्मेदारी पूरी हो जाती है। दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के अंतर्गत फैक्ट्री निदेशालय काम करता है। प्रत्येक दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन (डीएसआईआईडीसी) क्षेत्र के अंतर्गत चल रही फैक्ट्रियों को फैक्ट्री निदेशालय से मंजूरी लेना अनिवार्य है।

परन्तु बड़ा सवाल यह है कि क्या वास्तव में डीएसआईआईडीसी के क्षेत्र में चलने वाली फैक्ट्रियां फैक्ट्री निदेशालय से लाइसेंस लेती हैं। बाहरी दिल्ली के नरेला और बवाना इंडस्ट्रियल इलाके की बात करें तो यहां अधिकांश औद्योगिक कंपनियों के पास फैक्ट्री निदेशालय का लाइसेंस है ही नहीं। जिन उद्योगों के पास लाइसेंस है भी वे नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। ऐसे यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि आखिर इस निदेशालय का औचित्य क्या है।

दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के अंतर्गत फैक्ट्री निदेशालय काम करता है। प्रत्येक दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन (डीएसआईआईडीसी) क्षेत्र के अंतर्गत चल रही फैक्ट्रियों को फैक्ट्री निदेशालय से मंजूरी लेना अनिवार्य है। परन्तु बड़ा सवाल यह है कि क्या वास्तव में डीएसआईआईडीसी क्षेत्र में चलने वाली फैक्ट्रियां फैक्ट्री निदेशालय से लाइसेंस लेती हैं। बाहरी दिल्ली के नरेला और बवाना इंडस्ट्रियल इलाके की बात करें तो यहां अधिकांश औद्योगों के पास फैक्ट्री निदेशालय का लाइसेंस है ही नहीं। जिन उद्योगों के पास लाइसेंस है भी वे नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। ऐसे यह प्रश्न उठना लाजमी है कि आखिर इस निदेशालय का औचित्य क्या है।

बवाना की अवैध पटाखा फैक्ट्री में लगी आग की घटना के बाद फैक्ट्री निदेशालय में फैले गहरे भ्रष्टाचार की बू आ रही है। फैक्ट्री एक्ट के तहत सरकार की जिम्मेदारी न सिर्फ फैक्ट्रियों को लाइसेंस देने की है बल्कि समय समय पर औचक निरीक्षण कर इन फैक्ट्रियों में चल रहे अवैध कारोबार पर नजर रखना भी सरकार का ही काम है। अकसर मिलीभगत कर अफसर अवैध तरीके से इन फैक्ट्रियों को चलने देते हैं। व्यापारी वर्ग सस्ते में अपना काम कराने के लिए अफसरों को रिश्वत देकर धड़ल्ले से अवैध गतिविधियों को जारी रखते हैं।

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