नई दिल्ली: पैसे न होने की वजह से जीवित नवजात को मृत करार देने वाले मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने चौतरफा आलोचना झेलने और सरकारी एजेंसियों से फटकार खाने के बाद रविवार को जांच कमेटी गठित करने की औपचारिकता पूरी कर दी। इस औपचारिकता में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के दो डॉक्टरों को शामिल किया गया है। शेष डॉक्टर अस्पताल के ही होंगे। आज शाम को यह कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
मैक्स की तरफ से एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि रविवार को अस्पताल ने आईएमए के दो डॉक्टरों, एथिक्स कमेटी के चेयरमैन डॉ. अरुण अग्रवाल और संयुक्त सचिव डॉ. रमेश दत्ता, को जांच कमेटी में शामिल किया गया है। यह कमेटी इस बात की जांच करेगी की 23 सप्ताह/ पांच महीने के प्रिमेच्योर जुड़वां बच्चों के डिलीवरी और उन्हें मृत घोषित करते समय क्या परिस्थितियां थीं और तब क्या सभी प्रोटोकॉल पूरे किए गए थे। ऐसे में जब जांच कमेटी में अस्पताल के ही डॉक्टरों की भरमार हो तो नतीजे का अनुमान लगाना मुशकिल नहीं है।
परिजनों में रोष: इसी बीच अस्पताल और डॉक्टर पर दबाव बनाते हुए तीसरे दिन भी परिजन अस्पताल के सामने डटे रहे। लेकिन पिछले तीन दिन में अस्पताल की तरफ से किसी तरह का संवाद नहीं होने की वजह से परिजनों में रोष बढ़ता ही जा रहा है। इसकी वजह से रविवार को परिजन आरोपी डॉक्टर के शालिमार बाग स्थित घर पर प्रदर्शन किया। परिजनों का कहना है कि डॉक्टर के घर प्रदर्शन कर वह उसके पड़ोस को भी बताना चाहते हैं कि गुनाहगार है और वह छिप कर बच नहीं सकता। वे उसे बेनकाब करके ही रहेंगे।
मैक्स पर फैसला आज: शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल को लेकर आज फैसला हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग अस्पताल की लापरवाही को लेकर जांच कर रहा है। विभाग को सोमवार तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश हैं। वहीं अस्पताल को लेकर मुख्यमंत्री ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि दिल्ली सरकार निजी अस्पतालों की स्वतंत्रता का महत्व देता है और सरकार उनके कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। लेकिन कुछ गलत लोगों द्वारा खुली लूट और आपराधिक लापरवाही के मामले सामने आते हैं, ऐसे लोगों की कानूनी जांच होनी चाहिए। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट जांच में गंभीर लापरवाही पाई गई है।
भारी जुर्माने की तैयारी: मैक्स अस्पताल की लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार ने मैक्स अस्पताल पर भारी जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है। संभावना जताई जा रही है कि सरकार अस्पताल पर दस लाख से अधिक का जुर्माना लगा सकती है। जिसे आर्थिक मदद के तौर पर पीड़ित परिवार को दिया जा सकता है। इसके अलावा अन्य तरह से भी प्रतिबंध लगाए जाने की तैयारी हैं।
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