तीन तलाक को अपराध करार देने वाला बिल आज राज्यसभा में पेश किया जा रहा है कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोपहर के बाद ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पेश किया। ये विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है और राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण इसे पारित कराना मोदी सरकार के लिए चुनौती हो सकती है । कांग्रेस और टीएमसी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की है संसद का शीतकालीन सत्र अपने अंतिम पड़ाव में है और इसमें मोदी सरकार मौजूदा सेशन का सबसे महत्वपूर्ण बिल पास कराने की कोशिश में है।मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा तीन तलाक बिल लोकसभा से पास हो चुका है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पेश किया।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तीन तलाक विधेयक पर कांग्रेस पर दोहरा रुख अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में इस विधेयक को समर्थन देने के बाद अब विपक्षी पार्टी राज्यसभा में इसे अटकाने का प्रयास कर रही है। भाजपा संसदीय दल को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार बिल पर एक बहस चाहती है, जो इंस्टेंट तालाक को दोषी ठहराते हैं। संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि जीएसटी विधेयक की तरह इसे भी सर्वसम्मति से पारित करना चाहिए।
जेटली के समर्थन में उन्होंने कहा कि कांग्रेस दोहरे मानकों को दिखा रही है। लोकसभा में इसे समर्थन देने के बाद यह राज्यसभा में बिल को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मौजूद थे। राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार को विपक्ष एवं अन्य गैर राजग दलों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। अनंत कुमार ने कहा कि सरकार तीन तलाक विधेयक पर कांग्रेस और अन्य दलों से बात कर रही है ताकि इसे पारित कराया जा सके।
उन्होंने कहा कि विधेयक, जो ओबीसी आयोग के लिए संवैधानिक स्थिति की परिकल्पना करता है, राज्य सभा में संशोधन करने के बाद फिर से लोकसभा में लाया जाएगा। भाजपा ने पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में बिल का प्रदर्शन किया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थवार चंद गहलोत ने सांसदों को बिल पर जानकारी दी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हज के लिए जाने वाली महिलाओं की 45 साल या उससे अधिक आयु के महिलाओं के लिए ‘मेहरम’ (पुरुष अभिभावक) की आवश्यकता को दूर करने के सरकार के कदम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कांग्रेस ने अपने दुष्प्रचार अभियान के साथ सरकार को निशाना बनाया ।
सरकार इस बिल पर बहस भी कराएगी। पहले यह बिल मंगलवार को ही राज्यसभा में आना था, लेकिन विपक्षी दलों में आम राय नहीं हो पाने के कारण सरकार ने इसे पेश नहीं किया गया। सरकार इस बिल को राज्यसभा में पास कराने के बाद जल्द से जल्द राष्ट्रपति की अनुमति के बाद कानून की शक्ल देने के मूड में है। लेकिन राज्यसभा में बीजेपी अल्पमत है । वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों की तरफ से सरकार को सहयोग का कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला कि वह इस बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने या फिर इसमें कुछ संशोधन करने के लिए सदन में दबाव नहीं डालेंगे।
24X7 नई खबरों से अवगत रहने के लिए क्लिक करे