नई दिल्ली: आज के समय में ऐसा देखा जाता है कि शादियां अपनी रइसी दिखाने का एक जरिया बन गया है। जिसकी शादी जितनी महंगी उसका रूतबा उतना बड़ा। अमीरों के इस चाल-चलन में बेचारा गरीब पिस रहा है। अगर बात किसी सिख या पंजाबी की शादी की हो तो वहां खर्चा और दोगुना हो जाता है। शादियों में इस फिजूलखर्ची को रोकने और दिखावे का विरोध करने के लिए इंटरनेशनल पंजाब फोरम (आईपीएफ) आगे आया है।
बुुधवार को हुई आईपीएफ की मीटिंग में वेव ग्रुप के सीईओ डॉ. राजेंद्र चड्ढा, दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके, पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर जसपाल सिंह, वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा, लोकप्रिय सीनियर पत्रकार प्रभु चावला सहित कई अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।
इस मौके पर फोरम द्वारा यह फैसला लिया गया कि वह सिखों की शादियों में कम खर्चा करने का समर्थन करेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि फेरे गुरुद्वारे में ही हों। इसके अलावा कोई भी शादी रात में न हो क्योंकि इससे जहां एक तरफ खर्चा बढ़ता है, वहीं दूसरी तरफ रात की शादियां ट्रैफिक जाम का कारण भी बनती हैं। इसके साथ ही इससे पहले फोरम द्वारा एक मीटिंग की गई थी जिसमें शादी के ई-कार्ड का विकल्प दिया गया था। इससे शादी के कार्ड का काफी खर्चा भी कम होगा और बिना ट्रैफिक में फंसे लोगों को घर बैठे कार्ड भी भेजे जा सकते हैं।
कम खर्चा, गरीब परिवारों को राहत: राजेंद्र चड्ढा
इस मौके पर अपने विचार रखते हुए राजेंद्र चड्ढा ने कहा कि सिखों की शादियों में नॉनवेज या अन्य किसी चीज को लेकर जो फिजूलखर्ची की जाती है, फोरम उसे रोकने के लिए सभी लोगों को जागरूक करेगा और न सिर्फ सिख बल्कि सभी धर्मों और जातियों तक यह संदेश पहुंचाएगा। चड्ढा का कहना है कि जिन लोगों के पास पैसा है उन्हें अधिक खर्च करने से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन इसका असर गरीब परिवारों पर पड़ता है और उन्हें मजबूरन कर्ज लेकर बड़े स्तर पर शादी करनी पड़ती है।
सादगी से हो शादी, आगे आएं सदस्य: किरण चोपड़ा
इस मौके पर वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा ने कहा कि सादगी से की गई शादी हमेशा दूसरे लोगों के लिए अच्छा संदेश छोड़ती है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि समाज के बड़े लोग आगे आएं। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि मेरी शादी आर्य समाज मंदिर में मात्र एक रुपए में हुई थी और मेरे बेटे आदित्य चोपड़ा की शादी भी इसी सादगी भरे अंदाज से की गई थी। इससे गरीब वर्ग के लोगों पर बोझ भी नहीं पड़ेगा और शादी भी अच्छे तरीके से हो जाएगी।
गुरुद्वारे से बाहर न हो फेरे ई-कार्ड चुनें: जीके
दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कहा कि कई बार ऐसा देखा जाता है कि लोग फार्म हाउस या अन्य किसी जगह पर शादी का आयोजन करते हैं और वहीं पर गुरु ग्रंथ साहिब विराजमान कर फेरे लेने लगते हैं लेकिन अब इस बात का खास ध्यान रखा जाएगा कि सभी फेरे गुरुद्वारे में हों। किसी को भी बाहर फेरे लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। वहीं जीके ने कहा कि न केवल सिख बल्कि मुस्लिम, मारवाड़ी सहित कई अन्य धर्म के लोगों ने फोरम के इस फैसले को समझते हुए ई-कार्ड का विकल्प चुना।
आरडब्ल्यूए की तर्ज पर बने पंजाबी सभा: प्रभु चावला
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने कहा कि सिख, पंजाबी, मारवाड़ी या अन्य किसी भी जाति-धर्म के लोग शादी में कम खर्च करने के लिए जागरूक हों इसके लिए जरूरी है कि हर इलाके में आरडब्ल्यूए की तर्ज पर पंजाबी सभा या इससे संबंधित अन्य सभाएं भी बनाई जाएं ताकि वह घर-घर जाकर लोगों को यह समझा सकें कि दिखावे से बचो और जितना हो सके शादियों में कम खर्च करो। प्रभु चावला के इस विचार पर गौर करते हुए जल्द ही इस पर फैसला लेने का भी फोरम की तरफ से आश्वासन दिया गया।
अधिक खर्च से बंट रहा समाज: जसपाल सिंह
प्रोफेसर जसपाल सिंह ने कहा कि शादी में हो रहे अधिक खर्च से समाज बंट रहा है। अमीर अपनी शादियों में करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, वहीं एक गरीब उनकी शादियों को देखकर सिर्फ यही सोचता है कि मेरे बच्चों का क्या होगा। मैं कहां से इतना पैसा खर्च कर पाऊंगा। जो किसान फांसी लगा रहे हैं उसका कारण केवल जमीन के लिए लिया गया कर्ज नहीं बल्कि बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज भी शामिल है।
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