दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) को नोटिस जारी कर जानना चाहा है कि उस पर प्रतिबंध की अवधि पांच साल और बढ़ाने को लेकर क्या उसे कोई आपत्ति है। यह नोटिस गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया और दो अखबारों – एक अंग्रेजी एवं एक क्षेत्रीय भाषा-में इसे प्रकाशित भी किया गया।
न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल की अगुवाई वाले न्यायाधिकरण ने यह निर्देश भी दिया है कि नोटिस के साथ 14 मई 2019 की उस राजपत्र अधिसूचना को भी संलग्न कर दिया जाए जिसके जरिए लिट्टे पर प्रतिबंध की अवधि पांच साल के लिए बढ़ाने का आदेश जारी किया गया है।
गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत इस न्यायाधिकरण का गठन किया गया। सामान्य तौर पर किसी संगठन को प्रतिबंधित घोषित किए जाने और आदेश की पुष्टि के लिए न्यायाधिकरण के गठन पर उसके बचाव में कोई व्यक्ति नहीं आता।
भारत ने 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद लिट्टे पर प्रतिबंध लगा दिया था। श्रीलंका में स्थित आतंकवादी संगठन लिट्टे के समर्थक, इससे सहानुभूति रखने वाले लोग भारत में भी रहे हैं। सरकारी आदेश में कहा गया कि तमिल ईलम (अलग तमिल देश) बनाने का लिट्टे का मकसद भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के लिए खतरा रहा है। लिट्टे की ओर से जारी हिंसक और विध्वंसक गतिविधियां भारत की अखंडता एवं संप्रभुता के लिए नुकसानदेह है।