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मध्य प्रदेश : सत्याग्रहियों का ग्वालियर से दिल्ली कूच

सत्याग्रहियों को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का भी साथ मिल गया है। सिन्हा सरकार की नीतियों पर हमलावर हैं। उन्होंने गुरुवार को भी सरकार की कार्यशैली

भूमि अधिकार की मांग को लेकर 25 हजार से ज्यादा सत्याग्रही मध्य प्रदेश के ग्वालियर से दिल्ली की ओर कूच कर गए हैं। आगरा-मुंबई मार्ग पर बढ़ते लोग केंद्र और राज्य सरकार के लिए आने वाले दिनों में मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। यह सत्याग्रही दो दिनों से ग्वालियर के मेला मैदान में डेरा डाले हुए थे। विचार-मंथन के बाद वे दिल्ली के रास्ते पर पैदल चल पड़े हैं। एकता परिषद और सहयोगी संगठनों के आह्रान पर हजारों भूमिहीनों ने जनांदोलन-2018 पांच सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू किया है।

उनकी मांग है कि आवासीय कृषि भूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून (वुमन फार्मर राइट एक्ट), जमीन के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायालयों का गठन किया जाए। राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा और उसका क्रियान्वयन, वनाधिकार कानून 2005 व पंचायत अधिनियम 1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर निगरानी समिति बनाई जाए । राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को इन सत्याग्रहियों के बीच पहुंचकर उनकी बात केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाने का वादा कर चुके हैं। वहीं, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्र लिखकर सरकार की ओर से की जा रही पहल का ब्यौरा दिया।

केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक भी इन लोगों के बीच पहुंचे। उसके बाद भी सत्याग्रही दिल्ली कूच के रास्ते को त्यागने तैयार नहीं हुए और गुरुवार को पैदल चल पड़े हैं। इन सत्याग्रहियों को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का भी साथ मिल गया है। सिन्हा सरकार की नीतियों पर हमलावर हैं। उन्होंने गुरुवार को भी सरकार की कार्यशैली और उसके उद्योगपति परस्त होने को लेकर हमला बोला। इस आंदोलन की अगुवाई पी वी राजगोपाल, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, गांधीवादी सुब्बाराव आदि कर रहे हैं।

मेला मैदान में जमा हुए सामाजिक कार्यकर्ता और समाज का वंचित तबका जल, जंगल और जमीन की लड़ाई को लेकर सड़क पर उतरा है। इन सामाजिक कार्यकर्ताओं के आंदोलन से आने वाले दिनों में राज्य और केंद्र सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। वहीं, इस सत्याग्रह का समर्थन करने छह अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मुरैना पहुंचने वाले हैं। एक तरफ भाजपा के खिलाफ समाजसेवियों की लामबंदी तो दूसरी ओर कांग्रेस का साथ नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म देने वाला है।

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