मद्रास उच्च न्यायालय ने उस व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसे निचली अदालत ने तिरूवन्नामलाई जिले में 2007 के यौन उत्पीड़न के एक मामले में 10 साल के सश्रम करावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने पुलिस जांच को ‘दोषपूर्ण’ करार दिया। अदालत ने तमिलनाडु के डीजीपी को निचली अदालत और उच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करने और यौन अपराध के मामले में किस तरीके से जांच की जानी चाहिये उस बारे में संवेदनशील बनाने के लिए सभी जांच अधिकारियों के लिये प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का निर्देश दिया।
आरोपी वी वेंकटेशन की अपील को मंगलवार को मंजूर करते हुये न्यायमूर्ति एम वी मुरलीधरन ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड को देखने से यह पता चलता है कि पुलिस के एक इंस्पेक्टर द्वारा की गई जांच अभियोजन पक्ष के मामले के विफल होने की मूल वजह है।’’
न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी ने लापरवाह तरीके से जांच की और उसे अपराध की जांच के तौर-तरीके की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘दोषपूर्ण जांच और घटना के तुरंत बाद पीड़ित के आचरण ने अभियोजन पक्ष के मामले में भरोसा नहीं पैदा किया।’’ यह मामला 13 अक्टूबर 2007 का है जब वेंकटेशन ने महिला के अरानी स्थित आवास पर कथित तौर पर उसपर यौन हमला किया था।