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महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला : एसीबी ने अजित पवार को जिम्मेदार ठहराया

एसीबी के महानिदेशक ने एक स्वयंसेवी संस्था जनमंच की ओर से दाखिल याचिका के जवाब में हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष मंगलवार को एक हलफनामा दाखिल किया

महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बंबई हाई कोर्ट को बताया है कि करोड़ों रुपये के कथित सिंचाई घोटाला मामले में उसकी जांच में राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार तथा अन्य सरकारी अधिकारियों की ओर से भारी चूक की बात सामने आई है। यह घोटाला करीब 70,000 करोड़ रुपए का है, जो कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शासन के दौरान अनेक सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने और उन्हें शुरू करने में कथित भ्रष्टाचार तथा अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है।

पवार राकांपा के उन मंत्रियों में शामिल हैं जिनके पास महाराष्ट्र में 1999 से 2014 के दौरान कांग्रेस-राकांपा गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग का प्रभार था। एसीबी के महानिदेशक संजय बारवे ने एक स्वयंसेवी संस्था जनमंच की ओर से दाखिल याचिका के जवाब में हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष मंगलवार को एक हलफनामा दाखिल किया।

bombay high court

एनजीओ ने अपनी याचिका में विदर्भ और कोंकण सिंचाई विभाग द्वारा शुरू की गई सिंचाई परियोजनाओं में अनियमितता पर चिंता जताई। जवाबी हलफनामे में जल संसाधन विभाग के अंदर घोटाले को ‘साजिश का एक विचित्र मामला’ बताया गया जिसने सरकार से ही धोखाधड़ी की। इसमें कहा गया कि पवार के जल संसाधन विकास मंत्री रहने के दौरान विदर्भ और कोंकण सिंचाई विकास निगम की अनेक परियोजनाओं में देरी हुई, लागत में वृद्धि हुई और सिंचाई के अनुमानित लक्ष्यों तक नहीं पहुंचा गया।

हलफनामे में कहा गया कि पूछताछ के दौरान पवार ने दावा किया कि उन्होंने सारे निर्णय सचिव स्तरीय अधिकारियों के सुझाव पर लिए थे और अधिकतर निर्णय जमीनी स्तर पर लिए गए। एसीबी ने अनियमितता की जांच आगे बढ़ाने और कानून के मुताबिक आपराधिक कार्रवाई करने के लिए और वक्त मांगा है।

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