नई दिल्ली : महर्षि दयानंद सरस्वती ने छुआ-छूत और जातिवाद मुक्त समाज की कल्पना की थी। इस कड़ी में हमने काफी हद तक सफलता भी पाई है। लेकिन अभी भी इस दिशा में और बेहतर प्रयास कर महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों का प्रसारण करना शेष है। उक्त बातें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अंतरराष्ट्रीय आर्य समाज सम्मेलन के दूसरे दिन कही। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने गंगा नदी के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गंगा नदी की सफाई और कायाकल्प के लिए काम चल रहा है। उन्होंने इसे लेकर दूसरी परियोजनाओं के बारे में भी अपनी राय रखी।
सम्मेलन के दूसरे दिन हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देव व्रत और योगगुरु बाबा रामदेव ने भी शिरकत की। राज्यपाल ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद के कई दूषित परिणाम सामने आए हैं। जबकि जैविक खाद के बड़े ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री योजना के तहत जैविक खेती से साल 2022 तक देश को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। वहीं, योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि आर्यों को रिश्ते बचाने के लिए आगे आना होगा। जिसके लिए हिंदू दंपति कम से कम दो संतानों की उत्पत्ति करें। ताकि भाई-बहन, बुआ, मौसी जैसे रिश्ते कायम हो सकें। उन्होंने दलित समाज से गहरे संबंध स्थापित कर मुख्यधारा में शामिल करने पर बल दिया।
आर्य परिवार 16 संस्कार से बच्चों व युवाओं को संस्कारी बनाएं। अगले पांच वर्षों में 500 आर्य प्रचारक सन्यासी तैयार करके दुनिया भर में वैदिक विचारों से प्रचारित करेंगे। रामदेव ने कहा कि पतंजलि महर्षि की किताबों को विभिन्न भाषाओं में छाप कर दुनिया भर में बांटेगा। सम्मेलन में मुंबई आर्य प्रतिनिधि सबा के महामंत्री अरुण अबरोल, स्वामी धर्म मुनि, दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष योगानंद शास्त्री, असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, एमडीएच के महाशय धर्मपाल, सांसद मीनाक्षी लेखी समेत बड़ी संख्या में गणमान्य शामिल हुए।