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महेश ने दिखाई गंभीरता, पिया विष का प्याला

‘महेश’ शब्द का प्रयोग भगवान भोलेनाथ के लिए भी किया जाता है जिन्होंने समुद्र मंथन में स्वयं विष का पान किया और नीलकंठ कहलाए।

नई दिल्ली : ‘महेश’ शब्द का प्रयोग भगवान भोलेनाथ के लिए भी किया जाता है जिन्होंने समुद्र मंथन में स्वयं विष का पान किया और नीलकंठ कहलाए। दिल्ली भाजपा की राजनीति में भी पूर्वी दिल्ली से सांसद महेश गिरी के सरल और सहृदयी व्यवहार की जितनी प्रशंसा की जाए शायद कम होगी। भाजपा द्वारा सोमवार को उनके स्थान पर गौतम गंभीर को टिकट दिए जाने के तुरंत बाद उन्होंने बड़ा दिलवाला बनकर गर्मजोशी से ट्वीट कर उनका स्वागत किया। यही नहीं गंभीर के अग्रज बनकर वे मंगलवार को नामांकन करने भी पहुंचे और पूरी जिम्मेदारी से सभी कार्य पूरे करवाए।

इस बीच कुछ ऐसे चेहरे भी उजागर हो गए, जो कि महेश गिरी के टिकट कटने से सोमवार रात से दीपावली का जश्न मना रहे हैं। इन चेहरों ने गौतम गंभीर के रोड शो में सवार हुए महेश गिरी को आगे तक नहीं आने दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि टिकट पाने की चाह रखने वाले नेताओं ने प्रत्याशी तक को जनता से संपर्क नहीं करने दिया। आलम यह हो गया कि कार्यकर्ताओं और जनता द्वारा अभिवादन के लिए दी गई फूलमालाएं भी दावेदारों ने अपने हाथों में लपक ली। महेश गिरी से अदावट करने वाले जिले के पदाधिकारियों ने भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

गौतम गंभीर के जागृति एंक्लेव में रोड के लिए कार्यकर्ताओं को जो एसएमएस भेजा गया उसमें प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल के उपस्थित रहने का जिक्र तो किया गया, लेकिन महेश गिरी का नाम तक लेना मुनासिब नहीं समझा गया। हालांकि यह छोटी हरकत कोई पहली बार नहीं हुई है क्योंकि जिले के कुछ नेता अपनी हठधर्मिता के आगे सांसद को कुछ समझते नहीं थे। अब यूं कहें कि, ‘बिल्ली के भाग्य से छीका टूट गया’ यानी गंभीर के आने से गिरी की टिकट कट गई तो वे फूले नहीं समा रहे हैं। टिकट की दौड़ में शामिल दावेदारों को इस बात की बेहद खुशी है कि उन्हें भी टिकट नहीं मिली और सांसद भी दौड़ से बाहर हो गए।

हालांकि विश्वस्त सूत्रों की माने तो भविष्य में महेश गिरी को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी सोचने पर विचार कर रही है। गंभीर के नामांकन में पहुंचे महेश गिरी ने अपनी तरफ से बड़ा दिलवाला बनकर उन सभी लोगों को निशब्द कर दिया, जो कि सोमवार को उनका टिकट कटने पर तरह-तरह की बातें कर रहे थे। महेश गिरी का नामांकन में खड़े रहना ही विरोधियों के मुंह पर किसी बड़े तमाचे से कम नहीं रहा।

– सतेन्द्र त्रिपाठी/ राहुल शर्मा

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