नई दिल्ली : पीलीभीत के केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी से जुड़े 50 लाख रुपए के भ्रष्टाचार मामले में पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। कोर्ट द्वारा पूंछे गए सवाल पर अब सीबीआई को अपनी दलीलें पेश करने को 31 अक्टूबर की तारीख तय की है। मामला यूपी के पीलीभीत में गांधी रूरल वेलफेयर ट्रस्ट को नियमों की अनदेखी कर दिए 50 लाख रुपए के अनुदान से जुड़ा है।
शिकायतकर्ता वीएम सिंह ने सीबीआई की इस मामले में 2017 की क्लोजर रिपोर्ट के विरोध में याचिका लगाई है। वीएम सिंह ने कहा था कि इस मामले में समन जारी करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं और वह इसके समर्थन में साक्ष्य कोर्ट के समक्ष पेश करना चाहते हैं। इस पर ही उनकी सभी दलीलें सुनने के बाद मंगलवार को कोर्ट ने विराेध याचिका पर जिरह पूरी की।
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कोर्ट ने सीबीआई को कठघरे में रखते हुए पूंछा कि जिस एनजीओ को 50 लाख रुपए का अनुदान दिया गया था क्या वह अल्पसंख्यक समुदाय के लोगांे द्वारा चलाया जा रहा था। अनुदान देने के लिए तीन साल की अनिवार्यता की शर्त में छूट किस अधिकार के तहत और क्यों दी गई थीं। सीबीआई को इस मामले में दलील 31 अक्टूबर को पेश करनी है।
यह है मामला
नर्सिंग कॉलेज बनाने के लिए सरकारी जिला अस्पताल की जमीन को एनजीओ गांधी रूरल वेलफेयर ट्रस्ट ने अपनी जमीन बताते हुए अनुदान के लिए आवेदन किया था। यह एनजीओ 2000 में बनाया गया था और तीन साल की अवधि पूरी होने की शर्त को अनदेखा कर इसे 50 लाख रुपए का अनुदान दिया गया। यह अनुदान पीलीभीत चौक पर कॉलेज बनाने के लिए लियागया।
लेकिन उस स्थान की जगह पूरनपुर में कॉलेज बनवा दिया गया। यह अनुदान मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन ने दिया था। नियम के अनुसार यह फाउंडेशन केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के तहत काम करता था और केवल उन एनजीओ को अनुदान दे सकता था जो अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कार्यरत हैं।
– इमरान खान