नई दिल्ली : जनहित में बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने वाली दिल्ली सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में भी बड़ी दरियादिली दिखायी है। दरियादिली भी ऐसी की बिना देरी किए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंच ही दो बड़ी घोषणाएं कर दी। शनिवार को त्यागराज इंडोर स्टेडियम में दो बच्चियों की बात सुनकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंत्र पर बैठे अधिकारियों से क्षणिक चर्चा के बाद बिना कोई देरी किए छात्रों की रजिस्ट्रेशन फीज स्वयं सरकार द्वारा जमा कराने और वजीफे में वृद्धि करने और साथ ही इसके लिए तय आय की सीमा को भी पूरी तरह समाप्त कर दिया।
सिसोदिया कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 12वीं के छात्रों की एग्जाम रजिस्ट्रेशन फीस अब सरकार स्वयं जमा करेगी। छात्रों द्वारा अक्टूबर माह में यह फीस सीबीएसई में जमा करायी जाती है। फिलहाल सामान्य एवं ओबीसी श्रेणी छात्रों के लिए यह फीस 1500 रूपये है वहीं एससी/एसटी श्रेणी के लिए यह फीस 50 रुपए है। दरअसल दिल्ली की शिक्षा-व्यवस्था पर छात्रों एवं उनके अभिभावकों से राय लेने के दौरान एक छात्रा ने डिप्टी सीएम से कहा कि बारहवीं के सामान्य एवं ओबीसी छात्रों को रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में 1500 रुपए और एससी/एसटी छात्रों को 50 रुपए जमा कराने पड़ते हैं। यह एक तरीके से भेदभाव है।
छात्रा की बात सुनकर सिसोदिया ने तुरंत इसकी घोषणा कर दी। इसके अलावा सरकार ने 80 या उससे ज्यादा अंक प्रतिशत करने वाले सातवीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए दिये जाने वाले वजीफे में भी वृद्धि कर दी। साथ ही सरकार ने इस वजीफे को प्राप्त करने के लिए आवश्यक पारिवारिक आय की सीमा को भी समाप्त कर दिया। शिक्षा-व्यवस्था में सुधार के लिए सुझाव मांगे जाने के दौरान एक बच्ची ने मनीष सिसोदिया से कहा कि उनसे पापा सरकारी नौकरी में हैं। इसीलिए उनका वेतन दो लाख से अधिक है, जिसके चलते उन्हें सरकार द्वारा दिए जाने वाला वजीफा नहीं मिल मिलता, इसमें मेरा क्या दोष है।
डिप्टी सीएम बच्ची की बात सुनकर पिघल गए और उन्होंने घोषणा कर दी कि अब सभी बच्चों को वजीफा मिलेगा चाहे उनकी पारिवारिक आय कुछ भी हो। इसके अलावा वजीफे की राशि भी 2 हजार से बढ़कर ढाई हजार रुपए होगी। साथ ही डिप्टी ने छात्रों को जेईई, नीट एवं ग्रेजुएशन के बाद सिविल सर्विस की तैयारी कराने के लिए मुफ्त कोचिंग देने की भी घोषणा कर दी। इसके लिए सरकार जल्द योजना करके इसे लागू कर देगी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारा सपना था कि गरीब के बच्चों को शिक्षा मिले।
हमारी सरकार ने यही सोचा और अपने कार्यकाल के शुरूआती वर्षों में इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया जिसका परिणाम आज आपके सामने है। कुछ समय पहले सरकारी स्कूलों के बच्चों में काफी हीनभावना थी। ऐसा इसीलिए कि 70 साल पहले एक सिस्टम बन गया कि गरीब का बच्चा सरकारी और अमीर का बच्चा प्राइवेट स्कूल में जाता था।