नयी दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक स्थायी आदेश जारी कर कहा है कि सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और मंडलों में पद सृजित करने की शक्ति उनके पास होगी और अधिकारी महत्वपूर्ण सेवा मामलों को उनके संज्ञान में लाएंगे। पिछले साल फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने इस विवादास्पद मुद्दे पर खंडित आदेश दिया था कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवा किसके नियंत्रण में होनी चाहिए। इसने मामले को शीर्ष अदालत की वृहद पीठ को भेज दिया था। सिसोदिया दिल्ली के वित्त मंत्री भी हैं।
उन्होंने पिछले महीने जारी अपने आदेश में कहा कि नियमों और परंपराओं से अलग हटने के बड़े मामलों से जुड़े प्रस्तावों का निस्तारण वित्त मंत्री के स्तर पर किया जाएगा। इसमें कहा गया कि नि:शुल्क या रियायती दरों पर भूमि आवंटन से जुड़े प्रस्तावों की पड़ताल विभाग के उपसचिव या विशेष सचिव या शीर्ष अधिकारी करेंगे, लेकिन निस्तारण वित्त मंत्री द्वारा किया जाएगा।
केंद्रीय लोकसेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियमों के तहत उपराज्यपाल को अपीलों से संबंधित मुद्दे पर सिसोदिया ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह के मामलों की पड़ताल किसी संयुक्त सचिव या विशेष सचिव द्वारा की जाएगी, लेकिन प्रधान सचिव इसे उपराज्यपाल और वित्त मंत्री को सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले से संबंधित फाइलें वित्त मंत्री के जरिए उपराज्यपाल के पास जाएंगी। आदेश में कहा गया है, ''नीतिगत निर्णयों की जरूरत वाले सभी महत्वपूर्ण मामले उपमुख्यमंत्री/वित्त मंत्री के संज्ञान में लाए जा सकते हैं।''