राजधानी दिल्ली में चल रही सियासी उठापटक अपने चरम पर है। बता दें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने लंबी पूछताछ के बाद रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। जानकारी के अनुसार सिसोदिया को कथित शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। देखा जाए तो सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के बाद उनके राजनीतिक सफर की चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक सिसोदिया ने बहुत कम समय में खुद को देश के कद्दावर नेताओं में से एक के रूप में स्थापित कर लिया है।
सिसोदिया पत्रकारिता का पेशा छोड़कर राजनीति में आए
दूसरी ओर देखें तो आज उनकी गिनती दिल्ली के सीएम के करीबी और अनुभवी राजनेताओं में होती है। इन्हीं राजनीतिक चर्चाओं के बीच आज हम आपको मनीष सिसोदिया के अब तक के सफर के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे सिसोदिया पत्रकारिता का पेशा छोड़कर राजनीति में आए। के गलियारों में रखा कदम आपको बता दें कि सिसोदिया ने पत्रकारिता के पेशे के बाद राजनीति की दुनिया में कदम रखा और आम आदमी पार्टी बनने के बाद से ही उन्हें केजरीवाल का करीबी माना जाता है। यूपी के हापुड़ में जन्मे 51 वर्षीय मनीष सिसोदिया ने पत्रकार के रूप में अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की थी। पत्रकारिता में डिप्लोमा पूरा करने के बाद, उन्होंने आकाशवाणी में शून्यकाल नामक एक कार्यक्रम की मेजबानी की थी।
इसके बाद सिसोदिया ने एक निजी न्यूज चैनल में काम किया। इसके बाद सिसोदिया ने कई सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर काम किया और अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में काफी सक्रिय रहे। अन्ना आंदोलन के बाद जब अरविंद केजरीवाल ने एक राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया, तो सिसोदिया उनके साथ हो गए। मनीष सिसोदिया 2012 में स्थापित आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के बैनर तले वर्ष 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़े और पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से जीत का स्वाद चखा। इसके बाद उन्होंने 2015 और फिर 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की। बात दें फिलहाल सीबीआई द्वारा शराब निति मामले पर जांच जारी है