दक्षिणी दिल्ली : सोते-सोते मौत के आगोश में चले जाने वाले रोहित शेखर तिवारी की मौत के मामले में फिलहाल अभी कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है। उधर, हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से पुलिस की जांच और बारीक हो गई है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करा लिया है, जिसका पोस्टमार्टम रिपोर्ट गुरुवार को भी नहीं आया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसी प्रकार के संशय की स्थिति में जांच के लिए बिसरा भी रखवा लिया गया है। रोहित के शव का पोस्टमार्टम करने वाले पांच डॉक्टरों के बोर्ड ने पोस्टमार्टम पर अपनी राय प्रकट करने से पहले रोहित शेखर तिवारी की मेडिकल रिपोर्ट की हिस्ट्री मांगी है।
डॉक्टरों ने मामले में जारी संशय को खत्म करने के इरादे से रोहित की मेडिकल हिस्ट्री का अध्ययन करने का फैसला किया है, जिसके आधार पर डॉक्टर अपनी राय सुनिश्चित करेंगे। जानकारी के अनुसार 11 मई को रोहित की शादी की पहली सालगिरह से पहले ही रोहित की मौत के बाद से पूरा परिवार सदमे में है। परिवार शादी की सालगिरह को लेकर खुश था, लेकिन इस घटना ने सभी को अंदर तक तोड़कर रख दिया।
26 वर्ष में हुई थी पहला बाईपास सर्जरी
रोहित की मौत पर बने संशय को सुलझाने के लिए पुलिस से लेकर डॉक्टरों ने रोहित की मेडिकल हिस्ट्री खंगालना शुरू किया। जिसमें पता चला कि रोहित को 12 साल से दिल की बीमारी थी और वर्ष 2007 में उनका पहला बाइपास सर्जरी किया गया था। जिसके बाद से ही रोहित हार्ट की दवाइयां लेने लगे थे। वे शराब भी पीते थे, जिससे उन्हें दिल की परेशानी फिर से होेने लगी और पिछले वर्ष 2018 के दिसम्बर माह में उनका फिर से साकेत के मैक्स अस्पताल में बाइपास सर्जरी किया गया। कुछ माह पहले ही हुई हार्ट सर्जरी की दवाएं भी चल रही थी।
क्या है मामले में पुलिस की शंका?
रोहित के मौत के मामले की छानबीन कर रही पुलिस ने जब रोहित की मौत से पहले के बारे में जानना चाहा तो पता चला कि वे सोमवार रात को उत्तराखंड के कोटद्वार से अपना वोट डालकर करीब 11 बजे दिल्ली लौटे थे। परिजनों ने बताया कि थके होने के कारण रात का खाना खाने के बाद वे तकरीबन साढ़े ग्यारह बजे सोने चले गए थे। जिसके बाद दूसरे दिन शाम 4 बजे उनके नाक से खून आने का पता चला और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस के मन में एक सवाल यह भी है कि आखिर घर के लोगों ने रोहित को शाम तक उठाने की कोशिश क्यों नहीं की। शाम चार बजे पहली बार घर के नौकर ने उनके कमरे में जाकर देखा तो उनकी नाक से खून निकल रहा था। पुलिस को इस बात का भी शक है कि रोहित ने रात को अपनी दवाई ली होगी। पुलिस को आशंका है कि कहीं शराब पीने के बाद दवाई लेने से तो रोहित की मौत नहीं हो गई।
पुलिस की जांच के दायरे में यह भी है कि कोटद्वार से चलते समय और वहां पर रुकने के दौरान रोहित किसके सम्पर्क में थे। पुलिस रोहित की कॉल डीटेल निकाल रही है। कॉल डीटेल के आधार पर पुलिस रोहित से सम्पर्क करने वालों से बातचीत कर यह जानने का प्रयास करेगी कि कहीं रोहित का किसी से कोई विवाद तो नहीं हुआ था, जिससे परेशान होकर रोहित ने कोई गलत कदम उठाया था।
मकान में अलग-अलग मंजिल पर रहते थे दोनों भाई
पुलिस सूत्रों की मानें तो एक ही घर में रोहित और उनका भाई सिद्धार्थ अपने-अपने परिवार के साथ अलग-अलग फ्लोर पर रहते थे। जहां सिद्धार्थ अपने परिवार के साथ ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे, वहीं रोहित अपने पत्नी के साथ फर्स्ट फ्लोर पर रहते थे। पुलिस के एक अधिकारी की मानें तो घर में एक चालक और दो अन्य घरेलू सहायक भी हैं, जो कई सालों से उनके घर में काम कर रहे हैं।
दोनों भाइयों का खाना एक ही कीचन में बनता था। मां उज्ज्वला ने कहा कि रोहित अपने पॉलिटिकल करियर को लेकर परेशान था। उसका पॉलिटिकल करियर कुछ लोगों की वजह से सफल नहीं हो पा रहा था, जिसके बारे में वे समय आने पर बात करेंगी।