दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुभवी पत्रकार एम.जे. अकबर मानहानि मामले में 17 फरवरी तक फैसला सुरक्षित रख लिया। साल 2018 में मीटू मुहिम (Me Too Campaign) के तहत पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व विदेश मंत्री एम. जे. अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने कहा, “क्योंकि मामले में वकीलों की बहस काफी लंबी है, इसलिए फैसला सुनाने में अधिक समय लगेगा।” 1 फरवरी को, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता एमजे अकबर के वकील अधिवक्ता गीता लूथरा और प्रिया रमानी की वकील रेबेका जॉन की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
साल 2018 में सोशल मीडिया पर शुरू हुए ‘#मीटू मूवमेंट’ ने खलबली मचा दी थी। इस अभियान के तहत कई महिलाओं ने सोशल मीडिया पर खुद के साथ हुए यौन दुराचार को लेकर अपनी बाते रखी। इसी अभियान के तहत प्रिया रमानी ने अकबर पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था।
इसी के चलते पूर्व केंद्रीय मंत्री ने रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का फैसला दर्ज करवाया था और केंद्रीय मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। मामले में मुकदमा 2019 को शुरु हुआ था और यह करीब दो साल तक चला।