नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी सांध्य कॉलेज में मीडिया, साहित्य और राष्ट्रवाद पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गुरुवार को किया गया। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में देश-विदेशों से लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर अच्युतानंद मिश्र ने किया। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि केजी सुरेश (निदेशक, आईआईएमसी) और बीज वक्ता सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव, इग्नू) मौजूद रहे। इन सभी ने मुख्य रूप से राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता के रूप में अपने-अपने विचार रखे। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. हरीश अरोड़ा ने किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अच्युतानंद मिश्र ने कहा कि भारतीय संदर्भ में जो हमारी सांस्कृतिक चेतना है वो राष्ट्रय बोध को समाज के सामने लाकर खड़ा कर देती है। इसलिए मीडिया की हमेशा से राष्ट्रवाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एक समय था जब साहित्यकार ही पत्रकार हुआ करते थे। साहित्यकार यह जानता था कि समाज के लिए उसे क्या करना है। इसलिए पत्रकारिता हमेशा जीवन के मुल्य बने रहे। लेकिन सोशल मीडिया के आने के बाद इनपर कहीं न कहीं इन बिंदुओं से लोग हट गए हैं। लेकिन विश्व के लोग अब भी भारत की ओर देख रहे हैं।
वहीं बीच वक्ता सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि आजादी से पहले मीडिया राष्ट्रीय चेतना के रूप में काम करता था। लेकिन वर्तमान समय में मीडिया पर दबाव की वजह से व्यवसाय की ओर बढ़ गया है। जिसकी वजह से राष्ट्रीय चेतना कहीं न कहीं धुमिल हुआ है। आज के दौर में मीडिया और साहित्यकार दोनों को राष्ट्र के प्रति चिंता रखने की जरूरत है। कार्यक्रम के पहले सत्र में 125 लोगों ने अपने पेपर शामिल किए हैं। वहीं समानंतर सत्र में हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी और कन्नड़ इन चार भाषाओं में सत्र चले।
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