दिल्ली उच्च न्यायालय ने रविवार को दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए जरूरी ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन सांद्रक और जरूरी दवाएं अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक दाम पर न बेची जाएं।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने दिल्ली सरकार से यह भी कहा कि कोविड-19 से संबंधित दवाओं और उपकरणों की जमाखोरी तथा कालाबाजारी में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएं। साथ ही स्वतंत्र अवमानना कार्रवाई का सामना करने के लिये उन्हें अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
कुछ वकीलों ने अदालत को बताया था कि दवाओं और उपकरणों के लिये अधिक रकम वसूली जा रही है, जिसके बाद अदालत ने ये निर्देश जारी किये हैं। दूसरी तरफ, केन्द्र सरकार ने रविवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उससे राष्ट्रीय राजधानी को आवंटित 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने या फिर अवमानना का सामना करने के लिये तैयार रहने से संबंधित आदेश वापस लेने का अनुरोध किया, जिसपर अदालत ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी तथा न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने अवकाश के दिन विशेष सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को एक नोटिस जारी कर बुधवार तक इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि वह केन्द्र की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करेगी जबकि अन्य मामलों की सुनवाई सोमवार को होगी।
दरअसल, केन्द्र सरकार ने अपनी याचिका में अदालत से एक मई के आदेश को वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि उसके अधिकारी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और ऐसे आदेशों से उनके मनोबल पर गलत प्रभाव पड़ेगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि दिल्ली सरकार उसे आवंटित की गई ऑक्सीजन की ढुलाई के लिये कुछ टैंकरों को छोड़कर बाकी का प्रबंध करने में पूरी तरह नाकाम रही है।
अदालत ने शनिवार यानि एक मई को दिल्ली के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते डॉक्टर समेत आठ रोगियों की मौत पर नाराजगी जताते हुए केन्द्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी को प्रतिदिन के हिसाब से आवंटित 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले। अदालत ने कहा था कि अब बहुत हो चुका और पानी सिर से ऊपर जा चुका है।
पीठ ने कहा था कि केन्द्र यह सुनिश्चित करे कि दिल्ली को ”किसी भी माध्यम से” आवंटित ऑक्सीजन मिले। ऐसा न करने पर अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। केन्द्र ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि दिल्ली को जितनी ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है, उसका भी सही ढंग से वितरण या इस्तेमाल नहीं किया जा रहा, जिसके चलते दिल्ली के निवासियों की जान पर खतरा पैदा हो गया है।