केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच बृहस्पतिवार को बैठक हुई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल ने कहा “सरकार ने कहा कि दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर सुरक्षा कारणों से गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड का आयोजन नहीं किया जा सकता है। लेकिन हम स्पष्ट हैं कि हम केवल वहीं ट्रैक्टर परेड करेंगे।”
उन्होंने बताया कि संयुक्त पुलिस आयुक्त (उत्तरी क्षेत्र) एस एस यादव इस बैठक का समन्वय कर कर रहे हैं। यह बैठक सिंघू बॉर्डर के निकट मंत्रम रिजॉर्ट में हो रही है। इसी तरह एक बैठक किसान नेताओं और दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस बलों के अधिकारियों ने बुधवार को यहां विज्ञान भवन में की थी। सूत्रों ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को दिल्ली के व्यस्त बाहरी रिंग रोड की बजाय कुंडली-मानेसर पलवल एक्सप्रेस वे पर आयोजित करने का सुझाव दिया था जिसे किसान संगठनों ने अस्वीकार कर दिया।
दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच जल्द ही फिर से एक और बैठक इसी मुद्दे पर होगी। अभी तक की जानकारी के अनुसार ये बैठक शुक्रवार को हो सकती है। हालांकि इन सब मसले पर किसान आपस में चर्चा करेंगे, जिसके लिए सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी और गुरुवार शाम तक उम्मीद लगाई जा रही है कि किसान अपनी रणनीति सबके सामने रखेंगे।
इस बैठक में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी लॉ एंड आर्डर संजय सिंह, स्पेशल सीपी इंटेलिजेंस दीपेंद्र पाठक, जॉइंट सीपी एसएस यादव और दिल्ली पुलिस के दो एडिशनल डीसीपी के अलावा यूपी और हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। वहीं किसान संगठनों की ओर से दर्शन पाल, योगेंद यादव, युद्धवीर सिंह और अन्य किसान नेता इस बैठक में शामिल रहे।
किसान नेता योगेंद यादव ने बताया, किसान रिंग रोड पर परेड करने के लिए अड़े है, वहीं दिल्ली पुलिस हमारी मांग को मानने की लिए तैयार नहीं है। ये रैली शांतिपूर्ण तरह से होगी। गण के उत्सव की प्रतिष्ठा बरकरार रहेगी। देशभर से लाखों की संख्या में किसान इस परेड के लिए रवाना हो गए हैं, हम उनको नहीं रोक सकते। बैठक में दिल्ली पुलिस ने किसानों को दिल्ली के बाहर केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल) और केजीपी (कुंडली-गाजियाबाद-पलवल) राजमार्ग पर ट्रैक्टर परेड निकालने का सुझाव दिया था जिसे किसानों ने खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े कारपोरेट घरानों की ‘कृपा’ पर रहना पड़ेगा। हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है।
किसान आंदोलन को समाप्त करने के एक प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने बुधवार को आंदोलनकारी किसान संगठनों के समक्ष इन कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव रखा। किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव को तत्काल तो स्वीकार नहीं किया लेकिन कहा कि वे आपसी चर्चा के बाद सरकार के समक्ष अपनी राय रखेंगे। अब 11वें दौर की बैठक 22 जनवरी को होगी।