नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने वृद्धावस्था और विधवा पेंशन विधायक के जरिए रिलीज मामले में जारी दिल्ली सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया है। अब पहले की तरह ही पेंशन प्रक्रिया लागू होगी और लोग सरकारी पोर्टल पर ही जाकर अप्लाई कर सकेंगे। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की बेंच ने दिल्ली सरकार के सोशल वेलफेयर विभाग सचिव से इससे पहले जवाब मांगा था। जिस पर ही उन्होंने कहा था कि आधार की अनिवार्यता से लोगों को परेशानी हो रही थी। इसलिए ही यह फैसला लिया गया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पहले के मुकाबले अब ज्यादा परेशानी है। इसलिए सरकार को पोर्टल को ही बेहतर करने के प्रयास करने चाहिए थे। हाईकोर्ट ने सुझाव दिया किया पोर्टल को ऑटो मोड में भी ओपन रहने दिया जाए। जिससे की अगर किसी बेनिफिशरी की मृत्यु हो जाए तो पोर्टल में अप्लाई करने का स्पेस क्रेट हो जाए। इससे पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस हटा रहेगा और एप्लीकेंट को भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने विधवा और बुजुर्गों को आसानी से पेंशन उपलब्ध कराने के लिए आधार की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला किया था। सरकार का कहना था कि आधार की अनिवार्यता से लोगों को परेशानी हो रही थी। पार्षद वेद पाल की ओर से वकील ऋषिपाल ने इस पर ही जनहित याचिका को हाईकोर्ट में दायर किया। याचिका के जरिए दिल्ली सरकार के पेंशन रिलीज करने के एक मात्र अधिकार इलाके के विधायक को सौंपे जाने को लेकर किए गए सरकार के फैसले को चुनौती दी गई।
याचिका में दिल्ली सरकार की डोर स्टेप डिलीवरी पर भी सवाल उठाया गया। याचिकाकर्ता का कहना था कि एक तरफ तो सरकार डोर स्टेप डिलीवरी के जरिए बेहतर सुविधाएं और लोगों की समस्या जल्द सुलझाने का दावा कर रही है। वहीं वृद्धों और विधवाओं के लिए परेशानी का सबब बन रही है। इस पर ही दिल्ली सरकार से हलफनामा मांगा गया था। जिस पर ही दिल्ली सरकार के वकील ने हलफनामे के तहत कोर्ट को बताया कि पेंशन योजना में शिकायतों के आधार पर ही यह फैसला लिया गया।
इस पर चीफ जस्टिस मेनन की बेंच ने असंतुष्टि जताते हुए कहा कि यह सरकारी स्कीम है। दिल्ली सरकार ऐसे किसी को अधिकार नहीं दे सकती है और वो भी पहले आओ पहले पाओ के आधार पर। बेंच ने कहा कि अगर शिकायतें आई हैं तो वो शिकायतें दिखाई जाएं और शिकायतों पर सोशल वेलफेयर विभाग सचिव से जवाब मांगा गया था। सचिव से जवाब से असंतुष्ट होने पर ही हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के फैसले को निरस्त करने का आदेश सुनाया।
ये हो रही थी परेशानी
याचिका के अनुसार ऑनलाइन पेंशन बंद कर दी गई थी। सोशल वेलफेयर गर्वमेंट ऑफिस बंद कर दिए गए हैं। पेंशन के लिए विद्यायक कार्यालय में ही जाकर अप्लाई करना पड़ रहा था। पासवर्ड भी विद्यायक कार्यालय से ही अप्लाई करने पर मिलता। इस वजह से लोगों का पब्लिक ट्रांसपोर्ट से विद्यायक ऑफिस तक तक पहुंचना मुश्किल हो रहा था और विद्यायक कार्यालय में भी पार्टी से जुड़े लोगों को ही लाभ दिया जा रहा था। पेंशन को लेकर इन ऑफिसों में कोई भी शेड्यूल नहीं बना था।
इस वजह से वृद्ध और विधवाएं पेंशन के लिए धक्के खाने के लिए मजबूर थे। जबकि पहले इनके पास काफी ऑप्शन थे। लेकिन अब विद्यायक कार्यालय ही एक ऑप्शन बचा था। ऐसा सरकार की ओर से तब किया जा रहा था। जब वह डोर स्टेप डिलीवरी से लोगों को राहत पहुंचाने का दावा कर रही थी। याचिका में पेंशन को भी डोर स्टेप डिलीवरी में लाने और पहले की तरह प्रक्रिया वापस करने की मांग की गई थी।