नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाल ही में मुस्लिम शिष्टमंडल के साथ मुलाकात करने वाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव महमूद मदनी ने मुसलमानों से जुड़े मुद्दों पर मोदी के रूख को ‘सकारात्मक’ करार दिया, उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी सरकार और पार्टी के लोगों को तीन तलाक जैसे ‘संंवेदनशील मुद्दे’ पर सियासी बयानबाजी से रोकना चाहिए।
उन्होंने प्रधानमंत्री के उस बयान की तारीफ की जिसमें मोदी ने कहा था कि तीन तलाक के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी लोगों को इस मामले को हल करने के लिए आगे आना चाहिए।
बीते मंगलवार को मदनी के नेतृत्व में एक मुस्लिम शिष्टमंडल ने मोदी से मुलाकात की थी जिसमें तीन तलाक और कई मुद्दों पर चर्चा की गई थी। मदनी ने कहा, ”कुल मिलाकर यह कहा जाएगा कि प्रधानमंत्री के साथ हमारी मुलाकात बहुत सकारत्मक रही। वह हमें बहुत सकारात्मक लगे। इसी सकारात्मकता की वजह से यह बात हुई कि एक व्यवस्था बने जिसके माध्यम से समाज की बातों को उन (प्रधानमंत्री) तक पहुंचा सके। हमारे बहुत सारे मुद्दे हैं और एक साथ सब पर बात नहीं हो सकती। इसलिए हमने एक व्यवस्था बनाने की बात की जिससे उन तक सारी बातें पहुंचाया जा सके।” उन्होंने कहा, ”भारत सरकार और मुस्लिम समाज के बीच बहुत दूरी है। इस दूरी को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है।”
महमूद मदनी ने कहा, ”तीन तलाक पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की तरफ से कदम उठाने का वो असर नहीं होगा जो आप लोगों के जरिए होगा। उन्होंने कि आप लोग (शिष्टमंडल) ही अपनी बहन-बेटियों को मुसीबत से निकालने के लिए खुद आगे बढ़ें।” गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा का हवाला देते हुए मदनी ने कहा, ”देश में जो हालात बनाए जा रहे हैं, जिस तरह से मारपीट हो रही है, नफरत भरी बयानबाजी हो रही है, वो चिंता का विषय है। अपनी इन चिंताओं से हमने प्रधानमंत्री को अवगत कराया है।” उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री ने बहुत अच्छी बात कही कि देश का अगर कोई व्यक्ति पिछड़ गया तो हम विकास नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हम किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होने देंगे।”
(भाषा)