देहरादून : मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सचिवालय में प्रदेश में संचालित बाल-महिला संरक्षण गृहों के संचालकों और संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान निर्देश दिये कि बाल, महिला संरक्षण गृहों में स्वच्छता, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विशेष निगरानी रखी जाए। ऐसे गृहों में रह रहे बच्चों और महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्म निर्भर बनाया जाय। संरक्षण गृहों में सभी तरह की बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ पुस्तकालय, खेलकूद और मनोरंजन के साधन भी हों। तैनात सभी स्टाफ का पुलिस सत्यापन जरूर कराया जाय। सभी गृहों में विशेष आंगनवाड़ी केंद्र भी चलाए जाए।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि संरक्षण गृहों में सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। नियमित रूप से इनकी मॉनिटरिंग की जाय। संस्था में आने-जाने वाले सभी आगंतुकों का विवरण आगंतुक पंजिका में दर्ज किया जाय। 10 वर्ष तक के बच्चों, बालिकाओं और महिलाओं की संस्था में शत् प्रतिशत महिला कार्मिक ही तैनात किए जाए।
इसके साथ ही संस्थाओं में बाल समिति और प्रबंधन समिति का भी गठन किया जाय। बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा राजकीय नारी निकेतन, जिला शरणालय एवं संरक्षण गृह संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा भारत सरकार स्वाधार गृह, उज्ज्वला गृह का संचालन करती है। स्वयंसेवी संगठनों द्वारा भी संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है। बताया गया कि नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स द्वारा राज्य में संचालित 42 संस्थाओं का सोशल ऑडिट कराया गया।