नई दिल्ली : सरकारी फंड हासिल करने के लिए कोचिंग सेंटरों की चालाकी अब नहीं चल पाएगी। अक्सर देखने में आया है कि कोचिंग सेंटर सब-सेंटर से करार कर (उन्हें कुछ पैसे देकर) चयनित बच्चों को कोचिंग के लिए उनके पास भेज देता है। ऐसे में बच्चों को जो शिक्षा दी जा रही होती है, उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।
दिल्ली सरकार ने कोचिंग सेंटर के इस खेल को रोकने लिए मॉनिटरिंग कमेटी बनाने का फैसला लिया है। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि विभाग द्वारा शुरू किए गए जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना के तहत बच्चों दी जा रही कोचिंग के दौरान बेहतर शिक्षा देने के लिए कोचिंग सेंटर पर नजर रखने का फैसला लिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार गरीब और जरुरतमंद (एससी-एसटी छात्र) बच्चों का चयन कर बेहतर शिक्षा देने के लिए इन सेंटरों के पास भेजती है लेकिन यह पढ़ाने की जगह उन्हें कही और ही भेज देते हैं। इससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है। साथ ही उन्हें उस स्तर की शिक्षा नहीं मिल पाती जो सरकार देना चाहती है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने योजना के तहत उच्च स्तर के संस्थानों का चयन किया है। ऐसे में यदि कोई संस्थान बच्चों को पढ़ाने की जगह कही और भेज देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
बच्चे रहें सावधान…योजना के तहत चयनित हुए बच्चों को भी सावधान रहना होगा। कमेटी केवल कोचिंग सेंटरों पर ही नजर नहीं रखेगी, बल्कि उनकी नजर बच्चों पर भी रहेगी। मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि अक्सर देखने में आया है कि चयन होने के बाद काफी बच्चे कोचिंग सेंटर ही नहीं जाते। अब ऐसा नहीं चलेगा।
सरकार ने ऐसे बच्चों पर भी नजर रखने का फैैसला लिया है। उन्होंने कहा कि मॉनिटरिंग कमेटी चयनित हुए सभी बच्चों पर भी नजर रखेगी। कमेटी देखेगी कि क्या बच्चे रोजाना कोचिंग सेंटर जा रहे हैं या नहीं। यदि नहीं जा रहे तो उसका कारण क्या है। यदि जा रहे है तो क्या पढ़ रहे हैं, उससे क्या फायदा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि एससी-एसटी समाज के गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाया जाए। बता दें कि योजना के तहत कोचिंग के लिए 4092 ने आवेदन किया है। इन्हें यूपीएससी, डीएसएसएसबी, एसएससी, रेलवे भर्ती बोर्ड, बैंक सहित अन्य की मुफ्त कोचिंग करवाई जाएगी।
– राकेश शर्मा