पश्चिमी दिल्ली : पश्चिमी दिल्ली जिला पुलिस की साइबर सेल ने मोती नगर इलाके में एक फर्जी कॉल सेंटर पर शनिवार देर रात छापामारी करते हुए 32 लोगों को गिरफ्तार किया है। कॉल सेंटर को पांच दोस्त चला रहे हैं, मुख्य आरोपी अभी फरार है। आरोपियों ने पिछले तीन माह में कनाडा मूल के 500 से ज्यादा लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम दिया है।
आरोपी अवैध रूप से कॉल सेंटर को चला रहे थे। जिससे भारत सरकार को करोड़ाें रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। डीओटी (दूरसंचार विभाग) भी अपने स्तर पर मामले की जांच कर रहा है। दिल्ली पुलिस ने कनाडा के नागरिक एल्विस हेनरी की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस कॉल सेंटर के फरार मालिकों की तलाश कर रही है।
पश्चिमी जिले के एडिशनल डीसीपी समीर शर्मा अनुसार, पुलिस को सूचना मिली कि मोती नगर में गैर कानूनी कॉल सेंटर चला रहे हैं। कॉल से विदेशियों के साथ ठगी की जा रही है। पुलिस टीम ने भारत सरकार के दूरसंचार विभाग को जानकारी दी और साइबर सेल की टीम ने जांच शुरू कर दी। शनिवार रात को पुलिस टीम व दूरसंचार विभाग की टीम ने डीएलएफ औद्योगिक क्षेत्र मोती नगर में एक ऑफिस में छापा मारा, जहां एक अवैध कॉल सेंटर चलाया जा रहा था।
छापेमारी के दौरान उस समय तीन फ्लोर के मैनेजर समेत 32 लोग काम कर रहे थे। यह लोग कनाडा में लोगों को फोन कर रहे थे। पुलिस टीम ने कॉल सेंटर में मौजूद लोगों से संबंधित दस्तावेज मांगे और पूछताछ शुरू की। पूछताछ में पता चला कि यह फर्जी कॉल सेंटर हैं। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
कानूनी जांच का डर दिखाते थे आरोपी
आरोपियों ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह कनाडा पुलिस अधिकारी बनकर वहां के लोगों को फोन करते थे। फोन कर वह कनाडा मूल के लोगों से कहते थे कि उनका सिम नंबर (सरकार द्वारा जारी व्यक्ति का पहचान नंबर) आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया गया है। जिसके चलते सरकार आपके बैंक अकाउंट में जमा पैसा जब्त कर रही है।
जांच की बात कहकर करते थे ठगी
पीड़ित जब आरोपियों को फोन करता था तो वह उसे समझौता करने की बात कहते थे और फिर उनके अकाउंट में जमा पैसा बिटकॉइन ब्लॉकचेन वॉलेट एप में ट्रांसफर करवा लेते थे। आरोपी इस वॉलेट एप को कनाडा सरकार का आधिकारिक एप बताते थे। पैसा आने के बाद वह पीड़ित से बात करना बंद कर देते थे। आरोपियों ने कॉल सेंटर से इंटरनेट के जरिए फोन करते थे।
वह जिस नंबर से फोन करते थे वह नंबर कनाडा का ही दिखाई देता था। इसके लिए उन्होंने फर्जी तरीके से पूरा तंत्र विकसित किया हुआ था। जिसके जरिए वह देश के बाहर औद्योगिक कार्य को अंजाम दे रहे थे। जबकि इसके लिए सरकार से लाइसेंस लेना होता है।