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दिल्ली में डेंगू के अबतक 8,200 से अधिक मामले सामने आए, टूटा पांच साल का रिकॉर्ड

दिल्ली में इस साल डेंगू के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 8,200 से अधिक हो गई है, जिनमें से 6,700 से अधिक मामले केवल नवंबर में पाए गए।

राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ते डेंगू के खतरे ने सरकार समेत सोए हुए प्रशासन की नींद को भी खोल दिया है। इसके साथ ही डेंगू के कुल मामलों ने नगर निगम के भी हाथ पांव फुला दिए है। दिल्ली में इस साल डेंगू के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 8,200 से अधिक हो गई है, जिनमें से 6,700 से अधिक मामले केवल नवंबर में पाए गए। दिल्ली नगर निकाय की एक रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई। 
लगातार डरा रहा है डेंगू का बढ़ता खतरा  
दिल्ली में 17 नवंबर तक डेंगू के 5,277 मामले पाए गए हैं, जो 2015 के बाद दिल्ली में मच्छर जनित बीमारी के सर्वाधिक मामले हैं। इस बीमारी के मामले 22 नवंबर तक बढ़कर 7,128 हो गए। शहर में पिछले करीब एक सप्ताह में डेंगू के करीब 1,148 नए मामले सामने आए, लेकिन इस दौरान किसी की मौत नहीं हुई। 
पांच साल का रिकॉर्ड तोड़कर सामने आए नए मामले  
सोमवार को जारी दिल्‍ली नगर निगम की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 27 नवंबर तक कुल 8276 डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि पिछले वर्षों में डेंगू के मामले 4431 (2016), 4726 (2017), 2798 (2018), 2036 (2019) और 1072 (2020) दर्ज किए गए थे, जबकि इस साल अब तक 6 मौतें हो चुकी हैं।आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में 2017 के बाद से डेंगू से मौत के यह सर्वाधिक मामले हैं, 2017 और 2016 में डेंगू से 10- 10 लोगों की मौत हुई थी। 
बता दें कि 1996 में दिल्‍ली में पहली बार डेंगू के केस सामने आए थे। जबकि साल 2015 में डेंगू ने अब तक का सबसे बड़ा कहर बरपाया था। उस साल डेंगू के मामलों की संख्या अक्टूबर में ही 10,600 को पार कर गई थी। वैसे डेंगू के मामले लगातार बढ़ने के बाद दिल्‍ली सरकार पहले की कई घोषणाएं कर चुकी है। 
दिल्ली सरकार ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर अस्पताल कोरोना वायरस मरीजों के लिये आरक्षित एक तिहाई बिस्तरों का इस्तेमाल ‘वेक्टर’ जनित बीमारियों से पीड़ित लोगों के इलाज के लिये कर सकते हैं। साथ ही एक आदेश में कहा गया था कि डेंगू/मलेरिया/चिकुनगुनिया के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर इन रोगियों के लिये बिस्तरों की मांग में बढ़ोतरी देखी गई है। इसके अलावा कोविड रोगियों के लिये आरक्षित कई बिस्तर कोविड मामलों की संख्या में गिरावट के कारण खाली पड़े हैं।’

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