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मुखर्जी नगर प्रकरण : डॉक्टर ही बताएंगे, 307 लगाएं या 308

मुखर्जी नगर इलाके में पुलिस की इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल और ग्रामीण सेवा वाहन की टक्कर के बाद हुए बवाल मामले में पुलिस को एएसआई योगराज की मेडिकल रिपोर्ट मिल चुकी है।

नई दिल्ली : मुखर्जी नगर इलाके में रविवार रात पुलिस की इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल (ईआरवी) और ग्रामीण सेवा वाहन की टक्कर के बाद हुए बवाल मामले में पुलिस को एएसआई योगराज की मेडिकल रिपोर्ट मिल चुकी है। पुलिस सूत्रों की माने तो इस रिपोर्ट पर पुलिस एक्सपर्ट डॉक्टरों की ओपिनियन ले रही है। 
डॉक्टर ही पुलिस को बताएंगे कि एएसआई योगराज पर तलवार से जो हमला हुआ था वह कितना घातक था। क्या उसमें योगराज की जान जा सकती थी। डॉक्टरों की फाइनल ओपिनियन के बाद ही क्राइम ब्रांच की टीम इस मामले में अगला कदम उठाएगी। इसके अलावा पुलिस अब तक मिली सीसीटीवी फुटेज और वीडियो क्लिप को भी बारीकी से खंगाल रही है।
सीधे 307/308 की धारा जोड़ने से बच रही पुलिस
सूत्रों की माने तो इस मामले में वारदात के बाद दो क्रॉस एफआईआर हुई थीं। कांस्टेबल मुकेश की शिकायत पर चालक सरबजीत और उसके बेटे के खिलाफ 186,353 और 332/34 की धाराओं में केस दर्ज किया गया था। मगर एएसआई योगराज की एमएलसी रिपोर्ट पेंडिंग थी, जिसकी वजह से और धाराएं नहीं जोड़ी गई थीं। 
वहीं ग्रामीण सेवा चालक सरबजीत की शिकायत पर अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी मारपीट और चोट पहुंचाने का मुकदमा दर्ज किया गया। सूत्रों के मुताबिक योगराज की मेडिकल रिपोर्ट मिल गई है और उसे ओपिनियन के लिए भेज दिया है। दसअसल सिर पर तलवार से हमला करना, हत्या की कोशिश की श्रेणी में ही आता है। 
मगर मामला तूल पकड़ जाने के बाद पुलिस खुद अपनी तरफ से सीधे कोई एक्शन नहीं ले रही। जब डॉक्टर ही पुलिस को बताएंगे कि यह हमला जानलेवा था, तो पुलिस इसमें 307 यानी हत्या की कोशिश या फिर 308 यानी गैर इरादतन हत्या की कोशिश की धारा जोड़ सकती है। इस तरह पुलिस खुद को सेफ जोन में रखकर चलेगी।
गवाह बनने से बच रहे लोग
इस मामले में क्राइम ब्रांच की टीम अब तक 50 से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी है। मगर हैरानी की बात है कि अभी तक एक भी व्यक्ति इस मामले में चश्मदीद गवाह नहीं बना है। वहीं पुलिस सूत्रों की मानें तो यह मामला काफी तूल पकड़ चुका है। ऐसे में लोग किसी तरह के पचड़े में पड़ने से बच रहे हैं। 
गौरतलब है कि मुखर्जी नगर इलाके में रविवार रात पुलिस की इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल (ईआरवी) और ग्रामीण सेवा वाहन की टक्कर के बाद थाने के सामने ही खूब हंगामा हुआ था। ग्रामीण सेवा वाहन चालक सरबजीत ने हंगामा करते हुए तलवार निकाल ली थी। वहीं पुलिस ने भी जब सरबजीत और उसके नाबालिग बेटे को काबू किया तो उन्हें बुरी तरह पीटते हुए थाने में ले गए। दिल्ली पुलिस का यह तरीका किसी भी सूरत में प्रोफेशनल नहीं था। 
सड़क पर इस हंगामें का लोगों ने वीडियो भी बनाए। जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो एक समुदाय के लोगों ने थाने का घेराव किया और फिर मामला राजनीतिक रूप ले चला। वहीं वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी मामले में तीन पुलिस वालों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। सूत्रों की माने तो इस मामले में बटालियन में तैनात दो अन्य पुलिसकर्मियों को भी निलंबित किया गया है। मगर अभी पुलिस अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है। 

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