नई दिल्ली : खसरे (मिजल्स) और रुबैला से बचने के लिए 16 जनवरी से शुरू हो रहे अभियान का कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं। दरअसल एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दावा किया गया था इस टीके को लगाने के बाद 40 की उम्र में बच्चा पैदा करने की क्षमता खत्म हो जाएगी। इसी भ्रम को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग मुस्लिम धर्म गुरुओं की मदद ले रहा है।
दिल्ली में 400 के करीब मदरसे हैं, इसके अलावा कुछ अन्य स्कूल भी हैं जहां मुस्लिम समुदाय के बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से अधिकतर बच्चों के अभिभावकों व मदरसों के संचालकों ने इस टीकाकरण अभियान में भागीदारी करने से मना कर दिया है। ऐसे में इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग मुस्लिम धर्मगुरुओं की मदद ले रहा है।
इस संबंध में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, दिल्ली की निदेशक डॉ. नूतन मुंडेजा ने बताया कि मिजल्स और रुबैला टीकाकरण अभियान के दौरान 100 फीसदी का टारगेट पूरा करने के लिए मुस्लिम धर्मगुरुओं के अलावा अन्य धर्म के गुरुओं से भी मदद मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि असम में वायरल हुए एक वीडियो के कारण मुस्लिम समुदाय में कुछ समस्या आई है लेकिन हमें उम्मीद है कि धर्मगुरुओं के समझाने के बाद यह अभियान तेजी से पूरा होगा।
सत्येंद्र जैन करेंगे अभियान की शुरुआत
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन 15 जनवरी को मौलाना आजाद मेडिकल कालेज से इस अभियान की शुरुआत करेंगे। अभियान के तहत 16 जनवरी से अगले दो सप्ताह तक दिल्ली के सभी स्कूलों में नौ माह से 15 साल तक के बच्चों को खसरे और रुबैला का टीका लगाया जाएगा। इसके बाद अभियान को बेघर बच्चे, स्कूल न जाने वाले बच्चे सहित अन्य बच्चों के लिए चलाया जाएगा। बता दें कि देश में 2020 तक मिजल्स और रुबैला को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।
गर्भवती पर रहेगा विशेष ध्यान
मिजल्स और रुबैला टीकाकरण अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह अभियान नौ माह से 15 साल तक के बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाओं के लिए भी है। स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार से शुरू होने वाले टीकाकरण अभियान के लिए सभी अस्पताल सहित अन्य जगहों पर पर्याप्त व्यवस्था कर ली है।