नई दिल्ली : भूमि का पंजीकरण हमारे देश में काफी गंभीर विषय बन गया है। भूमि रिकॉर्ड प्रक्रिया में परिवर्तन और भूमि के पंजीकरण के रिकॉर्ड में पारदर्शिता लाने की जरूरत है। उक्त बातें उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ‘भूमि का पंजीकरण: भारत के लिए वैश्विक अभ्यास और सबक’ किताब के विमोचन समारोह में कहीं।
अपने निवास स्थान पर शनिवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा लिखित इस किताब का विमोचन करने के दौरान उप राष्ट्रपति ने भूमि के पंजीकरण के मुद्दे पर चर्चा की। इस दौरान उप राष्ट्रपति ने बीके अग्रवाल को रिसर्च कर ऐसे गंभीर विषय पर किताब लिखने के लिए बधाई दी। वहीं उन्होंने भूमि के पंजीकरण के दौरान व्यापक और कानूनी दस्तावेज जमा करना अनिवार्य होना चाहिए।
इस मौके पर वेंकैया नायडू ने महात्मा गांधी द्वारा दी गई सलाह गांव में वापस आओ के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हम चाहे मानें या न मानें, लेकिन यह वास्तविकता है कि केवल शहरी क्षेत्रों में ही शिक्षा, रोजगार, मनोरंजन और अर्थशास्त्र संबंधित गतिविधियों पर ध्यान दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि वह स्वयं ग्रामीण क्षेत्र से आकर शहरी क्षेत्र में बस गए हैं। कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और भारत के सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता ने भी बीके अग्रवाल द्वारा लिखित इस किताब और देश में भूमि के पंजीकरण के विषय में विचार रखे।