नई दिल्ली : निगम अधिकारियों की लापरवाही की वजह से अब तक केवल क्षेत्र में गंदगी और विकास कार्यों में देरी होने का मामला सामने आता था। लेकिन अब उनकी लापरवाही लोगों की जान पर आफत बनकर टूटने लगी है। अगर समय रहते निगम अधिकारियों की नींद टूट जाती और इमान जग जाता तो आज फिल्मीस्तान में हुए हादसे में इतने लोगों की मौत नहीं होती।
हादसे के समीप रहने वाले लोगों ने निगम अधिकारियों पर जमकर हंगामा बोलते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा दो माह में निगम अधिकारी दो बार इस बिल्डिंग का सर्वे करके जा चुके हैं। लेकिन किसी ने भी इन पर सीलिंग की कार्रवाई नहीं की। वहां रहने वाले लोगों ने आरोप लगाया कि निगम अधिकारियों की मिलीभगत से इस इलाके में ऐसी सैकड़ों फैक्ट्री चल रही है।
50 हजार सीलिंग के दिए थे आदेश
गौरतलब है कि डीएसआईडीसी ने वर्ष 2018 में राजधानी दिल्ली की तीनों नगर निगमों को 50 हजार ऐसी अवैध फैक्ट्रियों की सूची दी थी, जिन पर निगम को कार्रवाई करनी थी। निगम अभी तक इस सूची पर पूरी तरह से कार्रवाई नहीं कर पाया है। केवल पुरानी दिल्ली की ही बात करें तो यहां पर करीब 5 से अधिक अवैध फैक्ट्री संचालित की जा रही हंै। बता दें कि अवैध फैक्ट्री पर सीलिंग की कार्रवाई को लेकर कोर्ट वर्ष 1990 से आदेश जारी कर रहा है, लेकिन आजतक अच्छे से इस पर अमल नहीं किया गया।
एक सप्ताह पहले भी हुआ था इंस्पेशन
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक सप्ताह पहले भी निगम ने इस फैक्ट्री का इंस्पेक्शन किया था। कहना है कि इस दौरान बिल्डिंग पर ताले जुड़े हुए थे। इसके बाद निगम ने नोटिस जारी किया था। हालांकि अभी तक इस मामले पर कोई भी आधिकारिक रूप से बोलने के लिए राजी नहीं है।
इन इलाकों में सबसे ज्यादा अवैध फैक्ट्रियां
जिन इलाकों में सबसे ज्यादा अवैध फैक्ट्रियां व कारखाने हैं, उनमें बाहरी दिल्ली, रोहिणी जिला और बाहरी उत्तरी दिल्ली के कई गांव, नरेला, बवाना, बुध विहार,सुल्तानपुर माजरा, सुल्तानपुरी, विजय विहार, अमन विहार, प्रेम नगर, मुबारकपुर, नांगलोई, मुंडका, रिठाला, बुराड़ी, समयपुर बादली, जहांगीरपुरी, शालीमार बाग, पीतमपुरा, मटियाला, तिलक नगर, नवादा, उत्तम नगर, हरि नगर, सागरपुर, डाबरी, पालम, कापसहेड़ा आदि शामिल हैं।