नई दिल्ली : दिल्ली की जनता ने जिन निगम पार्षदों को चुनकर अपनी समस्याओं के समाधान और इलाके के विकास संबंधी मुद्दों को उठाने के लिए सदन में भेजा था। उन निगम पार्षदों ने अपने कार्यकाल के पहले ही साल में सदन में मुंह नहीं खोला। खासतौर पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की निगम पार्षद बबीना शौकीन और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के प्रवीण ने बीते एक साल में सदन में न तो अपने इलाके की समस्या संबंधी और न ही अन्य कोई मुद्दा उठाने में दिलचस्पी दिखाई।
इस संबंध में प्रजा फाउंडेशन ने गुरुवार को पार्षदों के कामकाज से संबंधी वार्षिक रिपोर्ट कार्ड पेश कर उनके दावों की पोल खोल दी। इस रिपोर्ट कार्ड में निगम पार्षदों द्वारा पिछले एक साल में किए गए कार्यों का आकलन किया गया है। रिपोर्ट कार्ड में पुरुष पार्षदों ने महिला पार्षदों को पछाड़ दिया। काम और अन्य सभी मामलों में पुरुष पार्षदों का कुल औसत स्कोर 63.4 फीसदी रहा जबकि महिला पार्षदों ने 60 फीसदी अंक हासिल किए। जनता की समस्याओं व शिकायतों को लेकर पार्षदों द्वारा उठाए गए मुद्दों की तुलना का स्कोर काफी खराब रहा है।