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Nirbhaya Case : क्या होता है डेथ वारंट

डेथ वारंट को ब्लैक वारंट भी कहते हैं। इसमें फॉर्म नंबर-42 होता है, जिसमें फांसी का समय, जगह और तारीख का जिक्र होता है।

नई दिल्ली : डेथ वारंट को ब्लैक वारंट भी कहते हैं। इसमें फॉर्म नंबर-42 होता है, जिसमें फांसी का समय, जगह और तारीख का जिक्र होता है। इसमें फांसी पाने वाले सभी अपराधियों के नाम भी लिखे जाते हैं। इसमें ये भी लिखा होता है कि अपराधियों को फांसी पर तब तक लटकाया जाएगा, जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती। 
डेथ वारंट जारी होने पर दोषियों को इसके खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिन का वक्त मिलता है। अपील हाईकोर्ट में करनी होगी। अगर अपील नहीं की तो 14 दिन बाद दोषियों को फांसी दे दी जाएगी। दिल्ली हाईकोर्ट के वकील नवीन शर्मा बताते हैं कि मामले में चूंकि किसी भी कोर्ट में अर्जी पेंडिंग नहीं थी, ऐसे में निचली अदालत ने डेथ वॉरंट जारी किया है। 
अगर इस दौरान मुजरिम ने मर्सी पिटिशन दाखिल कर दिया तो फिर डेथ वॉरंट होल्ड पर जा सकता है। मोहम्मद अफजल के मामले में भी ऐसा हुआ था। मुजरिम के नाम डेथ वॉरंट जारी हुआ था, लेकिन बाद में उसकी ओर से मर्सी पिटिशन दाखिल की गई थी और फिर डेथ वॉरंट पर रोक लगा दी गई थी। 
मर्सी पिटिशन दाखिल करने के लिए न तो समय सीमा है और न ही राष्ट्रपति के सामने उसके निपटारे की कोई समय सीमा है। मौजूदा मामले में डेथ वॉरंट जारी हो चुका है, ऐसे में अगर मुजरिमों ने दया याचिका दायर नहीं की तो उन्हें फांसी पर चढ़ाया जाना तय है।
क्यूरेटिव पिटिशन का रास्ता बंद!
मर्सी पिटिशन दाखिल करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है। इस मामले में अब क्यूरेटिव पिटिशन का रास्ता बंद सा दिखता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के रूल और ऑर्डर के तहत प्रावधान है कि क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के दौरान ये अर्जी में बताना होता है कि चूंकि उनके ग्राउंड को रिव्यू पिटिशन पर विचार के दौरान नहीं देखा गया ऐसे में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की जाती है। 
हालांकि मौजूदा मामले में रिव्यू पिटिशन ओपन कोर्ट में सुना गया और फिर खारिज हो चुका है। ऐसे में ज्ञानंत सिंह के मुताबिक क्यूरेटिव पिटिशन नहीं बनता है। साथ ही क्यूरेटिव पिटिशन में सीनियर वकील का रेफरेंस चाहिए। उधर, दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करेंगे।
क्या कहा सरकारी वकील ने…
राजीव मोहन ने कहा कि जेल प्रशासन के दिए नोटिस पीरियड में कोई याचिका दायर नहीं हुई और कोई याचिका कोर्ट में लंबित नहीं है। ये याचिका 2018 से लंबित है। ऐसे में बचाव पक्ष ये नहीं कह सकता कि उन्हें बचाव का मौका नहीं मिला। अब ये अचानक से जागते हैं और कहते हैं कि उन्हें क्यूरेटिव याचिका दायर करनी है। ये मामले को लंबा खींचना चाहते हैं। 
अगर पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है तो क्यूरेटिव पिटीशन निश्चित समय में ही दायर की जा सकती है।  सुप्रीम कोर्ट ने ओपन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज की थी। दोषियों को कानूनी विकल्प अपनाने का भरपूर मौका दिया जा चुका है। अगर बचाव पक्ष को समय चाहिए तो कोर्ट डेथ वॉरंट जारी कर 14 दिन का टाइम दे दे।
क्या कहा एमिकस क्यूरी ने…
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि हमें कुछ दस्तावेज नहीं मिले हैं इसलिए क्यूरेटिव पिटीशन दायर नहीं की जा सकी। हमें कुछ वक्त चाहिए। मैं जेल में मुकेश और विनय से मिली थी। मुझे कोर्ट ने दोषियों के वकील नियुक्त किया है। मुझे दोषियों के बचाव का पूरा मौका मिलना चाहिए। अगर कोर्ट ऐसा नहीं करती है तो मुझे केस से डिस्चार्ज कर दिया जाए।
क्या कहा दोषी अक्षय ने : दोषी अक्षय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान जज से बोलने की इजाजत मांगी। अक्षय ने मीडिया पर खबरें लीक करने का आरोप लगाया। इसके बाद मीडिया को कोर्ट रूम से बाहर कर दिया गया। जब जज ने पूछा कि क्या जेल प्रशासन ने नोटिस दिया था तो सभी दोषियों ने कहा कि हमें नोटिस दिया गया था।

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