दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने निर्भया मामले के दोषियों को एक फरवरी को दी जाने वाली फांसी पर शुक्रवार को अगले आदेश तक रोक लगा दी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने चारों दोषियों की अर्जी पर यह आदेश जारी किया। ये चारों एक फरवरी को फांसी पर अमल पर स्थगन की मांग कर रहे थे।
वहीं तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने फांसी की सजा पर रोक लगाने के तीन दोषियों के अनुरोध वाली याचिका की सुनवाई को कोर्ट में चुनौती दी थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट दोषी पवन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की विशेष खंडपीठ ने पवन की पुनर्विचार याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें कोई दम नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने नाबालिग होने के अपने दावे को खारिज करने के, दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। फैसला आने से पहले मामले में पवन की ओर से पेश वकील ए पी सिंह ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 20 जनवरी के आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को अपने मुवक्किल की ओर से एक याचिका दायर की।
याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पवन की याचिका को खारिज करने वाले हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है और हाई कोर्ट के साथ-साथ निचली अदालत ने उसके दावे को सही तरीके से खारिज किया। निचली अदालत ने मामले में सभी चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन (25), विनय (26) तथा अक्षय (31) को 1 फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए दूसरी बार 17 जनवरी को ब्लैक वारंट जारी किया था। इससे पहले कोर्ट ने सात जनवरी को दिए एक आदेश में 22 जनवरी को फांसी दिए जाने का वारंट जारी किया था।