नई दिल्ली : निर्भया कांड के दोषी अभी आगे भी अपनी फांसी को टालने के लिए कई हथकंडे अपना सकते हैं। उनके पास कई विकल्प खुले हैं। फिलहाल अभी 22 जनवरी को इन चारों को फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि इनमें से एक दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी हुई थी। जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज खारिज कर दिया है।
इन चारों में से मुकेश के ही अभी विकल्प समाप्त हुए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के वकील प्रदीप खत्री ने बताया कि दिल्ली प्रिजन मैनुअल 2018 के मुताबिक अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा दी गई है और इनमें से किसी की भी याचिका लंबित है तो उस पर फैसला आने तक सभी दोषियों की फांसी टलती रहेगी।
इसलिए ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे निश्चित रूप से फांसी नहीं दी जा सकती। हम नियम से बंधे हैं, याचिका खारिज होने पर भी दोषियों को 14 दिन का नोटिस देना ही होगा।
22 को फांसी नहीं होने की चार वजह…वकीलों से मिली जानकारी के अनुसार चार वजह 22 जनवरी को दोषियों की फांसी को रोकती है। पहली वजह दिल्ली प्रिजन मैनुअल 2018 के तहत दोषियों के पास डेथ वारंट या फांसी की सजा के खिलाफ आगे अपील करने का अधिकार होता है। इसमें जेल अधीक्षक ही उनकी मदद करने के लिए बाध्य है। दोषियों के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार है।
अगर वे अपील करते हैं तो उन्हें तब तक फांसी नहीं दी जा सकती, जब तक उनकी अपील पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता या यह अपील खारिज नहीं हो जाती। दूसरी वजह सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर दोषियों के पास 7 दिन के अंदर राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का अधिकार है। ऐसे में जब तक दया याचिका पर फैसला नहीं हो जाता उन्हें फांसी नहीं दी जा सकती।
तीसरी वजह के अनुसार सभी दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करते हैं और ये सभी याचिकाएं खारिज हो जाती हैं, इस स्थिति में भी दोषियों को 14 दिन का समय मिलता है। यह समय सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है और यह इसलिए तय किया है कि दोषी दोस्तों -रिश्तेदारो से मिल सकें और अपने जरूरी काम निपटा सकें।
चौथी वजह यह है कि अगर दिल्ली प्रिजन मैनुअल के 837वें प्वाइंट के अनुसार अगर एक ही मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा मिली है और इनमें से एक भी अपील करता है। इस स्थिति में सभी दोषियों की फांसी पर तब तक रोक लगी रहेगी जब तक अपील पर फैसला नहीं हो जाता।
ये हैं दोषियों के पास विकल्प
अभी दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है। उसके अलावा विनय के पास अभी दया याचिका का विकल्प है। अक्षय और पवन के पास अभी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के दोनों ही विकल्प बाकी हैं।
क्या गलत फायदा उठा रहे दोषी…
वकीलों के अनुसार वैसे देखा जाए तो दोषी कानून का गलत फायदा नहीं उठा रहे हैं। वह अपना जीवन जब तक बचा सकते हैं उसका सदुपयोग कर रहे हैं। हालांकि यहां पर जेल प्रशासन की गलती बताई गई है। हाईकोर्ट ने भी इस बात को लेकर फटकार लगाई है, क्योंकि जेल प्रशासन ने पहला नोटिस देने में काफी देर लगाई।
फांसी की सजा पाए दोषियों को सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने का अधिकार है, क्योंकि सजा दिए जाने के बाद सुधार की कोई गुंजाइश नहीं होती। इसलिए विकल्पों के इस्तेमाल में सरकार भी दोषियों का सहयोग करती है।
निर्भया केस में चारों दोषी न एक साथ रिव्यू पिटीशन दाखिल कर रहे हैं, न क्यूरेटिव पिटीशन और न ही दया याचिका। क्योंकि अगर सभी ने एक साथ ये कानूनी विकल्प इस्तेमाल किए तो नियमानुसार जो वक्त उन्हें मिलना चाहिए वह घट जाएगा।