सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2012 के सनसनीखेज निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के चार में से एक दोषी से आज कहा कि मौत की सजा को बरकरार रखने के उसके फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिका वह जल्द दायर करे। शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालत लंबे वक्त तक ”इंतजार नहीं कर सकती”।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ को बताया गया कि चार में से एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने अब तक पिछले साल पांच मई के शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर नहीं की है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल चारों दोषियों मुकेश (29), पवन (22), विनय शर्मा (23) और अक्षय कुमार सिेंह (31) की मौत की सजा बरकरार रखी थी और कहा था कि अपराध की ‘‘क्रूर, बर्बर और शैतानी प्रकृति’’ सभ्य समाज को नष्ट करने वाली ‘‘सदमे की सुनामी’’ ला सकती है।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 की दरमियानी रात को 23 साल की छात्रा का दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार करके उसे बुरी तरह जख्मी और निर्वस्त्र हालत में सड़क पर फेंक दिया था। इस पीड़ित ने बाद में सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को दम तोड़ दिया था। इस मामले में आज संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अक्षय तथा दो अन्य दोषियों की ओर से पेश अधिवक्ता ए पी सिंह से पूछा कि अक्षय की ओर से अब तक पुनर्विचार याचिका दायर क्यों नहीं की गई।
सिंह ने पीठ से कहा कि उन्होंने दोषियों पवन और विनय शर्मा की ओर से पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं लेकिन अक्षय के परिवार में कुछ दिक्कतों के कारण वह उसकी तरफ से यह याचिका दायर नहीं कर पाए। पीठ ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 16 फरवरी की तारीख तय की और अक्षय के वकील से कहा कि उस समय तक पुनर्विचार याचिका दायर की जाये।
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