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निर्मला सीतारमण को मिली दिल्ली की जिम्मेदारी

दिल्ली प्रदेश भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में भाजपा ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपी है।

नई दिल्ली : दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर फिर से वापसी करना दिल्ली प्रदेश भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में भाजपा ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपी है। अब देखना होगा कि क्या यें 2017 के दिल्ली नगर निगम चुनाव की तरह भाजपा फिर से वापसी कर पाती है या नहीं। इससे पहले भी भाजपा ने निर्मला सीतारमण को 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया का प्रमुख बनाया था।

उस चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। पार्टी से केवल तीन विधायक ही जीत पाए थे। जबकि 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा में पार्टी ने 32 सीटें जीती थी। इसके बाद 2017 में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में फिर से निर्मला सीतारमण को जिम्मेदारी सौंपी गई। 2017 में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव के दौरान माना जा रहा था कि भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। लेकिन उस समय विनय सहस्त्र बुद्धे को दिल्ली नगर निगम चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

इनके अलावा केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, जितेंद्र सिंह और निर्मला सीतारमण को एक-एक निगम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उस समय विनय सहस्त्र बुद्धे ने हिन्दी भाषा में अच्छी पकड़ होने का फायदा उठाते हुए स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ हर मुद्दे पर चर्चा कर दिल्ली में अच्छी पकड़ बनाई। इसका फायदा भी पार्टी को मिला।

लेकिन इस बार पार्टी ने दक्षिण भारतीय को दिल्ली की जिम्मेदारी सौंप कर कार्यकर्ताओं की टेंशन बढ़ा दिया है। निर्मला सीतारमण उस सरलता के साथ कार्यकर्ताओं के बीच संपर्क स्थापित नहीं कर पाएंगी जो विनय सहस्त्र बुद्धे कर पाए थे। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि लोकसभा चुनाव प्रमुख और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद की कड़ी ही नहीं जुड़ पाएगी तो पार्टी की विचार धारा को जतना तक कैसे पहुंचाया जा सकेगा।

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