नई दिल्ली : हमारे जीवन में मंगल तभी आएगा जब शहरों और ग्रामीण हल्कों में रहने वाली महिलाएं आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक सशक्त होंगी। बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। भारतीय संस्कार के मामले में हमारी बेटियों को कोई भी नहीं पछाड़ सकता। भारतीय संस्कृति और संस्कार का कोई मुकाबला नहीं है। इस संस्कृति और संस्कार को कायम रखने में हमें योगदान देना है। उक्त बातें वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन और पंजाब केसरी दिल्ली की डायरेक्टर श्रीमती किरण चोपड़ा ने कही।
मौका था भारत विकास परिषद उत्तर क्षेत्रीय महिला कार्यकर्ता सम्मेलन तेजस्विनी-2019 का। उन्होंने मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में शिरकत की। श्रीमती चोपड़ा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मातृ स्वरूपा देवी दुर्गा और शक्ति स्वरूपा मां काली का रूप केवल भारतीय नारी ही धर सकती है। इतना सब कुछ जानने के बाद भी लोग बेटियां नहीं चाहते। जबकि महिलाएं आज हर क्षेत्र में आगे हैं। उन्होंने भारत विकास परिषद की तेजस्विनियों से अपील की कि वह ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में जाकर इसके लिए लोगों को जागरूक करें।
उन्होंने दहेज जैसी कुरीति पर भी हल्ला बोला। श्रीमती किरण चोपड़ा ने कहा कि हर कुरीति को समाज से दूर करने के लिए हम महिलाओं को आगे बढ़ना होगा। उन्होंने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब द्वारा बुजुर्गों के लिए किए जा रहे कार्यों का भी जिक्र किया। बता दें कि रविवार को भारत विकास परिषद उत्तर क्षेत्रीय महिला कार्यकर्ता सम्मेलन तेजस्विनी-2019 का आयोजन किया गया था। रोहिणी सैक्टर-22 स्थित महाराजा अग्रसेन इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट कॉलेज में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
यह आयोजन दिल्ली उत्तर एवं दिल्ली मध्य प्रांत की ओर से किया गया था। पूरा कार्यक्रम महिला समन्वय की संयोजक गीता ताई जी के मार्गदर्शन में किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे पहलुओं पर महिलाओं को स्वयं ध्यान देने की आवश्यकता है। समाज को मानसिकता बदलनी होगी, महिलाओं को अवसर प्रदान करने होंगे। तेजस्विनी-2019 कार्यक्रम में कई सत्रों में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। एक सत्र में स्कूली छात्रों ने जल संरक्षण और भविष्य के जल संकट पर जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक पेश किया।
इस नाटक के जरिए बच्चों ने कहा कि भविष्य में पानी के लिए छीनाझपटी होगी। शादी में लोग सामान इत्यादि नहीं बल्कि पानी मागेंगे। फिल्मों के डायलॉग भी बदल जाएंगे। पानी की एक बूंद की कीमत तूम क्या जानो, ये पानी मुझे दे दे, मेरे पास पानी है जैसे डायलॉग बोले जाएंगे। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और दिल्ली की प्रांत प्रमुख और अन्य महिलाएं आई थीं। इसके अलावा कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर बीपीएस महिला विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुषमा यादव व सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना और पर्यावरण के लिए लड़ाई लड़ रही आरुषि पोखरियाल निशंक ने भी विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे।
आरुषि ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की बात कही। उन्होंने स्पर्श गंगा और नमामि गंगे का जिक्र किया और कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट की मानें तो हर साल 1.7 बिलियन से भी अधिक पेड़ों को काट दिया जाता है। भारत में अभी भी 65 मिलियन लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिल रहा। ऐसे में हर रोज गंगा में 1.7 मिलियन लीटर कचरा डाल दिया जाता है। वहीं, प्रो. यादव ने भी भारतीय संस्कृति और परंपरा को बचाए रखने पर जोर दिया। कार्यक्रम में आए डॉ. ब्रिज गोयल ने प्राकृतिक चिकित्सा विषय पर अपने विचार रखे।
भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन ने पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ भारतीय संस्कृति अपनाने पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में प्रख्यात नृत्यांगना नलिनी के साथ-साथ भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री अजय दत्ता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार वधवा, रश्मि गोयला, शोभा विजेंद्र, विनित गर्ग, भूपेंद्र मोहन भंडारी, डॉ. अविनाश शर्मा, शशि आजाद, संजीव मिगलानी, अर्चना सिंघल, गिरीश खट्टर, नरेंद्र सिंघल, एमएल शर्मा, बीबी गोयल, सुभाष मनोचा समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे।