देश के सबसे बड़े चिकित्सकीय संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। करीब 12.41 फीसदी मरीजों के आने की संख्या कम हो गई है। सबसे ज्यादा एम्स के प्रमुख ओपीडी में गिरावट दर्ज की गई है। एम्स की ओर से तैयार किए गए वार्षिक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है।
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रिपोर्ट पर नजर डालें तो पिछले सात वर्षों में सबसे कम मरीज इस वर्ष एम्स इलाज कराने के लिए पहुंचे हैं। हालांकि, मुख्य अस्पताल सहित एम्स के सभी सेंटरों में मरीजों के दाखिले, सर्जरी व प्रोसिजर बढ़े हैं। लगातार मरीजों की संख्या में आ रही गिरावट : एम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज कर रही है। वर्ष 2018-19 में एम्स की ओपीडी में कुल 38 लाख से अधिक मरीज आए थे। जबकि वर्ष 2017-2018 में 43 लाख से अधिक मरीज इलाज के लिए आए थे। इसका कारण मुख्य अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या घटने के अलावा सीसीएम (सेंटर फॉर कम्यूनिट मेडिसिन) की सक्रियता कम होना है।
मुख्य ओपीडी में 4 लाख से अधिक दर्ज की गई गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, एम्स के प्रमुख ओपीडी राजकुमारी अमृत कौर में इस वर्ष 4 से अधिक मरीज इलाज कराने नहीं पहुंचे। इसी तरह आरपी सेंटर में 5 हजार से अधिक मरीज इस वर्ष इलाज कराने नहीं पहुंचे हैं। कम्युनिटी सेंटर में भी मरीजों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि इस रिपोर्ट के अनुसार कैंसर, हार्ट, डेंटल, ट्रॉमा सेंटर और झज्जर में बने आउटरिच सेंटरों के ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी है। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि सुपर स्पेशलिटी सेंटरों के ओपीडी में अभी भी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि बड़ी बीमारी में लोग अभी भी इलाज के लिए एम्स को पंसद कर रहे हैं।