नई दिल्ली : दस साल की बेटी का टिकट लिए बना ट्रेन से सफर करना एक पिता को भारी पड़ गया। करीब तीन साल पूर्व अनजान व्यक्ति ने शाहदरा रेलवे स्टेशन से उसकी बेटी का अपहरण कर लिया। पीड़ित पिता ने रेलवे पुलिसकर्मी को शिकायत दी तो पुलिस ने लड़की का टिकट मांगा, लेकिन टिकट नहीं होने पर उसकी रिपोर्ट लिखने से इनकार कर दिया। मानव अधिकार आयोग के माध्यम से जब मामला रेलवे के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में पहुंचा तो घटना के तीन साल बाद पुलिस ने मासूम के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
पीड़ित पिता विजय पाल (51) ने बताया कि वह परिवार समेत गांव वजीरपुर थाना गंगोहा जिला सहारनपुर में रहता है। परिवार में चार बेटे और एक बेटी है। बेटी मानसिक रूप से विक्षिप्त थी। जिसकी वजह से वह चीजों को समझ और बोल नहीं पाती थी। उसका शाहदरा स्थित एक मेंटल हॉस्पिटल से इलाज चल रहा था। वह 28 जून 2015 को बेटी को अस्पताल में दिखाने के लिए घर से निकले थे। विजय पाल ने थाना भवन रेलवे स्टेशन से अपनी टिकट ली और रात करीब आठ बजे बेटी के साथ दिल्ली आने वाली ट्रेन में बैठ गया। रात करीब साढ़े 12 बजे शाहदरा रेलवे स्टेशन पर उतर गए। सुबह होने का इंतजार करने के लिए वे वहीं चादर बिछाकर बैठ गए और बेटी को सुला दिया। कुछ देर बाद विजय की भी आंख लग गई।
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सुबह चार बजे विजय की आंखें खुलीं तो बेटी गायब थी। उसने बेटी को चारों ओर ढूंढा, लेकिन कहीं कुछ पता नहीं चला। जिसके बाद वह पुलिस चौकी शाहदरा स्टेशन पर पहुंचा। वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने शिकायत लिखने से पहले उनकी बेटी का टिकट मांगा। टिकट नहीं होने पर उनकी शिकायत लिखने से ही इनकार कर दिया। जिसके बाद विजय 30 जून 2015 को गांव के लोगों को साथ लेकर शाहदरा रेलवे की पुलिस चौकी पहुंचे। तब पुलिस ने उन्हें बच्ची की फोटो वाले गुमशुदगी की पर्चे स्टेशन के आसपास चस्पाने के लिए कहा। जबकि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश है कि नाबालिग बच्चों की गुमशुदगी में तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाए।
– वसीम सैफी