नई दिल्ली : 2011 के आंदोलन से दिल्ली की सत्ता में खलबली मचाने वाले समाज सेवी अन्ना हजारे के आंदोलन में इस बार वो धार दिखायी नहीं दी। हालांकि अन्ना उसी जोश-खरोश से अपने समर्थकों में ऊर्जा भरने का काम कर रहे हैं लेकिन इस बार उनके समर्थकों और आम लोगों ने खास रूचि नहीं दिखाई। किसानों से जुड़ी समस्याओं और लोकपाल तथा लोकयुक्त के गठन जैसी मांगों को लेकर अन्ना हजारे द्वारा ऐतिहासिक राम लीला मैदान में शुरू किये गये अनशन में लोगों की कम भीड़ दिखायी दी।
करीब नौ बजे से लोग मैदान में जुटने शुरू हुए, धीरे-धीरे साढ़े ग्यारह बजे तक लोगों के आने का सिलसिला चलता रहा। एक बजे तक करीब ढाई से तीन हजार लोग मैदान में जमा हो सके। इनमें दिल्ली से कम ही लोग दिखायी दिये। ज्यादातर लोग दिल्ली से बाहर के दिखायी दिये। यहां मौजूद ज्यादातर लोग ग्रुप में आये।
ये ग्रुप अपने विभिन्न हितों को लेकर रामलीला मैदान पहुंचे। इनमें भारतीय किसान यूनियन, भारतीय निवेश सुरक्षा मंच, आदर्श वीरांगना गरीब सेवा परिवार तथा जेपी होम बायर्स जैसे संगठनों ने अलग-अलग अपनी मांगे उठायी। जबकि 2011 के आंदोलन में भीड़ की संख्या गणना से परे थी। इसमें दिल्ली सहित देशभर के लोग जुटे थे। अनशन के दौरान कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने भी मंच से लोगों को संबोधित किया।
देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ।