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दिल्ली में परिसर की सील से छेड़छाड़ न्यायालय की अवज्ञा नहीं, सांकेतिक विरोध था : मनोज तिवारी

तिवारी ने कहा कि यदि न्यायालय निगरानी समिति के भंग कर देता है तो वह ‘सीलिंग अधिकारी’ के रूप में चार साल के भीतर शहर को बेहतर और न्याय संगत स्थान बना देगा।

दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उन्होंने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों की गैरकानूनी कार्रवाई के खिलाफ ”सांकेतिक विरोध” में एक परिसर की सील तोड़ी थी। तिवारी ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के सुझाव के अनुरूप सीलिंग अधिकारी की भूमिका स्वीकार करने के लिये तैयार हैं।

भाजपा सांसद तिवारी ने न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा है कि उन्होंने शीर्ष अदालत के किसी आदेश की अवज्ञा नहीं की है। उन्होंने कहा कि यदि न्यायालय की निगरानी वाली सीलिंग समिति भंग कर दी जाती है तो वह सीलिंग से संबंधित निर्देशों पर अमल के काम में सहयोग के लिये तैयार हैं और वह चार साल के भीतर शहर को बेहतर रहने लायक तथा न्याय संगत स्थान बना देंगे।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मास्टर प्लान का उल्लंघन करने के कारण सील किये गये एक परिसर की कथित रूप से सील तोड़ने के मामले में मनोज तिवारी को अवमानना का नोटिस जारी किया था। तिवारी ने हलफनामे में कहा है कि उन्होंने कोई अवमानना नहीं की है क्योंकि न्यायालय या निगरानी समिति के किसी आदेश की अवज्ञा नहीं की है।

हलफनामे के अनुसार पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बगैर ही गोकलपुरी में एक परिसर सील किया था। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2011 का हवाला दिया और कहा कि यह कानून शहर में अनधिकृत कालोनियों को सीलिंग और उन्हें ध्वस्त करने की कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करता है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने हलफनामे में आगे कहा कि चूंकि इस मामले में सीलिंग की कार्रवाई न्यायालय सा निगरानी समिति के आदेश के तहत नहीं की गयी थी, इसलिए उन्होंने न्यायालय की कोई अवमानना नहीं की। यही नहीं, तिवारी ने कहा कि यदि न्यायालय निगरानी समिति के भंग कर देता है तो वह ‘सीलिंग अधिकारी’ के रूप में चार साल के भीतर शहर को बेहतर और न्याय संगत स्थान बना देगा।

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उन्होंने कहा कि वह यह काम करने के लिये चुन चुन कर निशाना बनाने का तरीका नहीं अपनायेंगे। उन्होंने कहा कि 16 सितंबर को जब वह अपने संसदीय क्षेत्र में गये थे तो उन्हें कथित गैरकानूनी डेयरी की सीलिंग के बारे में बताया गया और जब उन्होंने नगर निगम अधिकारियों से इस बारे में पूछा तो वे कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण देने के लिये तैयार नहीं थे।

हलफनामे में कहा गया है कि चूंकि प्राधिकारियों से कोई संतोषप्रद जवाब नहीं मिल रहा था और वहां मौजूद भीड़ इस गैरकाननी कार्रवाई को लेकर उग्र हो रही थी, इसलिए क्षेत्र के प्रतिनिधि के नाते उन्हें मजबूर होकर उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के इरादे से सांकेतिक विरोध की यह कार्रवाई करनी पड़ी।

प्राधिकारियों पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुये भाजपा सांसद ने सवाल किया कि ओखला, जामिया, शाहीन बाग, नूर नगर, जौहरी फार्म्स इलाके में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी जहां पांच से सात मंजिला इमारतें बनी हुयी हैं। न्यायालय के निर्देश पर तिवारी 25 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश हुये थे और उस दिन उन्हें अपना पक्ष रखने के लिये हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया था। इस मामले में उनके खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी थी।

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