नई दिल्ली : कामों की लेट-लतीफी और हर काम में कोताही बरतने के लिए मशहूर एमसीडी पर कोर्ट की फटकार और आदेशों का भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। शायद यही वजह है कि कोर्ट के आदेशों के बाद भी एमसीडी सख्त रुख नहीं अपनाती है। एमसीडी अधिकारियों पर भी हमेशा ही काम में टाल-मटोल करने के आरोप लगते रहते हैं। जिसका खामियाजा दिल्ली की आम जनता को भुगतना पड़ता है। बीते दिनों ही ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पर निगम की कार्यशैली में कमी साफ तौर पर सामने आई। इनमें डिप्थीरिया से हुई मौतें और सावन पार्क में बिल्डिंग गिरने की घटना प्रमुख है।
हईकोर्ट ने लगाई थी निगम कोे फटकार
बता दें कि गत वर्ष जुलाई माह के दौरान ही दिल्ली में अवैध निर्माण को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली की तीनों निगमों को फटकार लगाई थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा था कि एमसीडी के अधिकारी तभी हरकत में आते हैं जब जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान संपत्तियों पर कार्रवाई करने के लिए नोटिस जारी किया जाता है। उसके बाद अवैध इमारतों को गिराने का आदेश दिया जाता है लेकिन उसे इस आधार पर कभी भी लागू नहीं किया जाता है कि पुलिस बल उपलब्ध नहीं है। ताजा मामला किराड़ी में हुई घटना का है। जहां पर अवैध निर्माण करते हुए पांच मंजिला बिल्डिंग बनाई जा रही थी। इस घटना में एक मजदूर की मौत हो गई। इस संबंध में स्थानीय निगम पार्षद सुरजीत सिंह पवार का कहना है कि अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करने के लिए बीते 7 सितंबर को हुई वार्ड कमेटी मीटिंग में मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया था। लेकिन रोहिणी जोन के डिप्टी कमिश्नर जगदीप छिल्लर ने इसे गंभीरता नहीं लिया। उनका कहना है कि डिप्टी कमिश्नर जगदीप छिल्लर पर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं। लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं की जाती। लिहाजा इस बार उनका ट्रांसफर नहीं बल्कि सस्पेंड कर जांच होनी चाहिए।
नॉर्थ एमसीडी ने सील की 45 संपत्तियां
मौत पर दो सस्पेंड
किराड़ी में हुई घटना पर निगम ने कार्रवाई करते हुए दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। इसमें बिल्डिंग डिपार्टमेंट के एक एई (बीके गुप्ता) व एक जेई (आरसी मीना) शामिल हैं। इससे पहले बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने पार्षद के नेतृत्व में रोहिणी जोन के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इन सभी की मांग थी कि बिल्डिंग डिपार्टमेंट के सभी अधिकारियों समेत डिप्टी कमिश्नर पर भी कार्रवाई हो क्योंकि जब भी कोई घटना घटती है तो खानापूर्ति के नाम पर कुछ निचले स्तर के अधिकारियों को बलि का बकरा बना दिया जाता है।
– राजेश रंजन सिंह