दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस को यूएपीए के तहत गिरफ्तार जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। सफूरा ने फरवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में जमानत की मांग की है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने पुलिस को नोटिस जारी किया और उससे जमानत याचिका पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। हाई कोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 22 जून को सूचीबद्ध किया। सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित हिंसा के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद प्रेग्नेंट सफूरा 4 माह से अधिक समय की गर्भवती है।
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10 अप्रैल को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा गिरफ्तार की गई सफूरा ने मामले में निचली अदालत के चार जून के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था। निचली अदालत ने तब अपने आदेश में कहा था, ‘‘जब आप अंगारे के साथ खेलते हैं, तो चिंगारी से आग भड़कने के लिए हवा को दोष नहीं दे सकते।’’
कोर्ट ने कहा था कि जांच में एक बड़ी साजिश का पता चला है और अगर किसी साजिशकर्ता द्वारा किए गए षड्यंत्र, कृत्यों और बयानों के सबूत हैं, तो यह सभी के खिलाफ स्वीकार्य है। हालाँकि, निचली अदालत ने संबंधित कारा अधीक्षक से सफूरा को पर्याप्त चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए कहा था।