नई दिल्ली : दिल्ली में निजी वाहनों के बाढ़ को कम करने के लिए सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के दिशा में एक मजूबत कदम बढ़ा दिया है। इसके तहत सरकार डीटीसी के बसों के सर्वोत्तम इस्तेमाल के लिए वैज्ञानिक तरीके से रूट रेशनलाइजेशन कर रही है। इसमें फीडर बस सेवा, फटफट सेवा, ग्रामीण सेवा को भी जोड़ा जाएगा।
सरकार का दावा है कि इसके बाद दिल्ली के किसी भी इलाके में घर से महज आधा किमी की दूरी पर केवल 15 मिनट के अंतराल पर बस प्राप्त की जा सकेगी। कनेक्ट दिल्ली नाम की इस योजना के पहले फेज की शनिवार को नजफगढ़ इलाके से शुरुआत की जाएगी। शुक्रवार को सचिवालय में प्रेसवार्ता करते हुए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि इससे पहले भी कई सरकारों ने अलग-अलग समय पर इस तरह का अध्ययन कराने की शुरुआत की, लेकिन कोई अध्ययन पूरा नहीं हो सका तो किसी को लागू नहीं किया गया।
यह पहली बार है, जब अध्ययन पूरा भी हो रहा है और इसे लागू भी किया जा रहा है। इस अध्ययन के अनुसार अभी भी राजधानी के 35 प्रतिशत इलाकों में बस की सुविधा नहीं है, जबकि 30 प्रतिशत दिल्ली वाले ही परिवहन के लिए बसों का इस्तेमाल करते हैं। उनका कहना है कि पीक ऑवर में बसों की भीड़ और सड़कों पर जाम की वजह से बहुत सारे लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। कनेक्ट दिल्ली के तहत बसों, फीडर, फटफट, ग्रामीण सेवा, टैक्सी और ऑटो का ऐसा रूट बनाया जाएगा, जिससे हर इंसान को घर से आधे किमी की दूरी पर सार्वजनिक परिवहन मिल जाए।
2500 छोटी बसों की जरूरत
गहलोत की मानें तो इस योजना को पूरी दिल्ली में लागू करने के लिए पहले से मंगवाई गईं तीन हजार बसों के अलावा 2500 छोटी (नौ मीटर से छोटी) बसों की जरूरत होगी। उनका कहना है कि कनेक्टिविटी की सबसे ज्यादा परेशानी तंग रास्तों पर होती है। छोटी बसों से यह परेशानी दूर हो जाएगी। उनका कहना है कि इसके लिए जरूरत पड़ने पर स्टैंड के लिए जगह नोटिफाई किया जाएगा। वहीं इस योजना से फिलहाल से ई रिक्शा को बाहर रखा गया है।
फेज वन आज से
उन्होंने बताया कि फेज वन के तहत नजफगढ़ के 17 रूट लिए गए हैं। इनमें से खैर गांव से इंद्रलोक, नजफगढ़ से मोरी गेट और नजफगढ़ से नेहरू प्लेस के तीन रूट को ट्रंक रूट के तौर पर चिन्हित किया गया है। इन रूटों पर पांच से 10 मिनट के अंतराल पर बस मिलेगी। वहीं आठ रूटों को प्राइमरी रूट के तौर पर चिन्हित किया गया है।
इन पर 10 से 20 मिनट में बसें मिला करेंगी, वहीं छह रूटों को फीडर रूट के तौर पर चिन्हित किया गया है, जिन पर 20 से 35 मिनट में बस मिलेगी। इसके लिए इन रूटों पर 70 अतिरिक्त बसें उतारी जाएंगी। उन्होंने बताया कि इन रूटों पर पायलट प्रोजेक्ट भी चलाया जा चुका है, जिसमें बसों की एक्युरेसी 90 प्रतिशत तक थी। सरकार इसे 95 प्रतिशत तक ले जाना चाहती है।