अहमदाबाद : आधार कार्ड आपकी सर्वश्रेष्ठ पहचान पत्र है जो देश में हर जगह स्वीकारर्य है। सरकारी कार्यक्रमों से लेकर विदेशी में सरकार द्वारा छात्रवृत्ति हासिल करने तक आधार मदद करता है, स्कूल के अलावा बच्चों के बचत खातों के लिए भी यह जरूरी है। इन सब चीजों को देखते हुएअब सूरत महानगर पालिका ने आवारा पशुओं, विशेष रूप से गायों के सड़कों पर घूमने के कारण होने वाली परेशानियों से निपटने का नायाब तरीका निकाला है। निकाय इन पशुओं के कानों में एक टैग लगाएगी और उसे मवेशी मालिकों के आधार कार्ड से जोड़ेगी।
सूरत महानगर पालिका के बाजार अधीक्षक डॉक्टर प्रफुल्ल मेहता ने बताया कि मवेशी के कान में लगाए जाने वाले प्रत्येक टैग में एक मवेशी पंजीकरण संख्या (सीआरएन) होगी और यह टैग मवेशी मालिक के आधार कार्ड से जुड़ा रहेगा।इसके माध्यम से निकाय के लिए ऐसे लोगों की पहचान करना और उन्हें दंडित करना आसान होगा जो अपने पशुओं को सड़कों को आवारा घूमने के लिए छोड़ देते हैं जिससे लोगों को असुविधा होती है और यातायात बाधित होता है। उन्होंने बताया कि स्थानीय निकाय ने अभी तक शहर के करीब 25,000 आवारा मवेशियों के कान में टैग लगाया है और उन्हें 1,500 मालिकों के आधार कार्ड से जोड़ा गया है।
उन्होंने कहा, ‘हमने 1,500 लोगों के करीब 25,000 मवेशियों का कंप्यूटराइज्ड डेटा तैयार किया है। सीआरएन को मालिकों के आधार कार्ड से जोड़ा गया है। शहर का दायरा बढ़ने के साथ ही आवारा मवेशियों की समस्या भी बढ़ी है। मुझे लगता है कि हमें अभी और 25,000 मवेशियों को टैग करना होगा।’ उन्होंने कहा कि मवेशियों के कान पर लगे टैग के माध्यम से उनके मालिकों को आसानी से खोजा जा सकता है क्योंकि डेटाबेस में उनका फोन नंबर और पता मौजूद होगा।
मेहता ने कहा, ‘मवेशियों के मालिक अपनी मर्जी से टैग लगवाने के लिए नहीं आते हैं। इसलिए, हम जब भी आवारा पशुओं को पकड़ते हैं, उन्हें टैग करके उन्हें एक सीआरएन देते हैं। जब उसका मालिक अपने मवेशी को लेने आता है तो हम उसकी जानकारी लेकर उसे सीआरएन के साथ जोड़ लेते हैं। यदि मालिक के पास आधार कार्ड नहीं है तो उसे अन्य दस्तावेजों जैसे ड्राइविंग लाइसेंस के साथ जोड़ा जाता है।’ वर्तमान में स्थानीय निकाय एक दिन में शहर के विभिन्न हिस्सों से करीब 70 आवारा पशुओं को पकड़ती है।