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श्रद्धालुओं की संख्या ने तोड़ा सात वर्ष का रिकार्ड

चारधाम यात्रा की रंगत फिर लौट आयी है और इस वर्ष इस पुण्य पावन प्रभु धाम के दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की संख्या ने पिछले 7 वर्ष का रिकार्ड तोड़ दिया।

देहरादून : उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में पांच साल पहले आयी प्राकृतिक आपदा के चलते बुरी तरह प्रभावित हुई विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की पुरानी रंगत फिर लौट आयी है और इस वर्ष इस पुण्य पावन प्रभु धाम के दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की संख्या ने पिछले सात वर्ष का रिकार्ड तोड़ दिया है।

आगामी 20 नवंबर को भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री सहित चारों धाम में अब तक 26.13 लाख तीर्थयात्री दर्शन के लिये आ चुके हैं। आपदा से एक साल पहले 2012 में 25.07 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा की थी । रोचक तथ्य यह है कि वर्ष 2013 के मध्य जून में आयी प्रलयंकारी बाढ़ में सर्वाधिक प्रभावित केदारनाथ धाम में तो इस बार श्रद्धालुओं की रिकार्ड तोड़ आमद दर्ज की गयी ।

भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम में 15 नवंबर तक 10.38 लाख श्रद्धालु अपनी आमद दर्ज करा चुके थे। वर्ष 2013 में आपदा आने से पहले बदरीनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 10.46 लाख थी जो 2013 में आपदा के चलते गिरकर 4.97 लाख और 2014 में 1.52 लाख रह गयी। 2015 में यह 3.66 लाख पहुंची जबकि 2016 और 2017 में यह संख्या बढकर क्रमश: 6.54 लाख और 9.20 लाख हो गयी।

उत्तरकाशी जिले में स्थित मां गंगा के धाम गंगोत्री और मां यमुना के मंदिर यमुनोत्री जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी यही रूझान दर्ज किया गया। आपदा से पहले 2012 में जहां गंगोत्री और यमुनोत्री प्रत्येक धाम को जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 4.43 लाख दर्ज की गयी वहीं आपदा वर्ष 2013 में यह संख्या घटकर क्रमश: 2.06 लाख और 2.38 लाख रही।

वर्ष 2014 में केवल 58847 श्रद्धालुओं ने गंगोत्री की तथा 38221 श्रद्धालुओं ने यमुनोत्री की यात्रा की लेकिन धीरे-धीरे बढते हुए यह आंकडा इस साल क्रमश: 4.47 लाख और 3.94 लाख तक पहुंच गया। सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोल दिये जाते हैं।

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