कभी वायु सेना की शान रहे पुराने मिग-21 विमानों को इस वर्ष दिसम्बर में लड़कू विमानों के बेड़ से बाहर किया जायेगा।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने आज यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘ मिग-21 विमान 44 वर्ष पुराने हो गये हैं और इन्हें दिसम्बर में बेड़ से बाहर किया जायेगा। उम्मीद है कि मैं भी सितम्बर में आखिरी बार इनमें उडान भरूं यदि मौसम सही रहा तो। ’’
उन्होंने कहा कि वायु सेना के पास ये विमान पिछले चार दशकों से हैं और इसके लिए हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और वायु सेना के बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) प्रशंसा के पात्र हैं। दोनों ने इन विमानों के 95 प्रतिशत कलपुर्जे देश में ही तैयार किये हैं जिनके कारण विमानों का रख रखाव हो सका। मिग बनाने वाला देश रूस भी अब इन्हें नहीं उडा रहा है लेकिन हम उडा रहे हैं क्योंकि हमारे पास इनके रख रखाव और मरम्मत की सुविधा है।
रक्षा कलपुर्जो के आयात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वायु सेना ने एचएएल को अपनी जरूरत बतायी है और कहा है कि यदि आप ये चीजें बनाते हैं तो हमें इनका आयात नहीं करना पड़गा और देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।
मिग-21 विमानों को वायु सेना के बेड़ में 1973-74 में शामिल किया गया था और इन विमानों ने करगलि लड़ई से लेकर अन्य मौकों पर समय समय पर अपना लोहा मनवाया है। मिग-21 विमान द्वारा हाल ही में पाकिस्तान के एफ-16 लड़कू विमान को मार गिराये जाने को उन्होंने एक बड़ सफलता बताया। हालाकि वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने जिस मिग-21 बाइसन विमान से एफ-16 विमान को गिराया था उसे उन्नत कर आधुनिक बनाया गया था।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत हथियारों का आयात करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ देश है। अभी केवल सऊदी अरब ही इस मामले में भारत से आगे है।