नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दुकानों की तरह चल रहे निजी स्कूलों को गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी. हरिशंकर की बेंच ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार से पूछा है कि इस तरह के स्कूलों को कैसे चलने दे रहे? इस तरह के स्कूलों को कैसे मान्यता दी जा रही है, जबकि उसमें खेल के मैदान तक नहीं है और यह दुकान की तरह दिखते हैं।
बेंच ने यह टिप्पणी एक स्कूल की फोटो देखने के बाद की। बेंच ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार से हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। और सुनवाई 29 नवंबर के लिए स्थगित कर दी। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की है। हाईकोर्ट ने कहा कि राजधानी में बिना खेल के मैदान वाले स्कूल हैं और उसमें पहली से लेकर आठवीं तक कक्षाएं चल रही हैं।
क्या उस स्कूल के बच्चों को खेलने की जरूरत नहीं है। उस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को बिना पढ़ाई के ही प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा। इस तरह के स्कूल राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान के तहत कैसे चल रहे हैं। इसपर सरकार अपना जवाब दाखिल करे। एक याचिकाकर्ता मोहम्मद कामरान ने अपनी याचिका में इस तरह के स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
दूसरी याचिका एक ट्रस्ट की है जिसने दिल्ली सरकार के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत कुछ स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया है। दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा कि उसने इस तरह के तीन स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। चौथे स्कूल ने मान्यता देने के लिए आवेदन दिया है।