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लड़कियों को कंप्यूटर व टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मजबूत बनाना हमारा मिशन : सिसोदिया

दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने शुक्रवार को शी कोड फाउंडेशन के साथ मिलकर शी कोड क्लब प्रोजक्ट की शुरुआत कर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण देने की शुरुआत की है।

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने शुक्रवार को शी कोड फाउंडेशन के साथ मिलकर शी कोड क्लब प्रोजक्ट की शुरुआत कर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण देने की शुरुआत की है। इस प्रोजेक्ट के लॉन्चिंग के अवसर पर उप मुख्यमंत्री और दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने शी कोड फाउंडेशन की संस्थापक जो कि हार्वर्ड एलुमनाई हैं के प्रयासों की सराहना की जिन्होंने युवा लड़कियों को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए इस तरह के प्रयास शुरू किए। 
सिसोदिया ने कहा कि यह हमारी लड़कियों के लिए एक स्वर्णिम अवसर है कि वे अपनी कोडिंग स्किल पर काम कर सकें और खुद को कंप्यूटर के क्षेत्र में बेहतर बना सकें। इस कार्यक्रम के अंतर्गत दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छठी और सातवीं क्लास की 1000 से अधिक बच्चियों ने अपना पंजीकरण कराया है और मार्च 2021 तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत 10,000 से अधिक बच्चियों का प्रशिक्षण होना है। 
सिसोदिया ने कहा कि अगले आने वाले कुछ सालों में हम यह लक्ष्य 8 लाख तक लेकर जाएंगे यह हमारी योजना है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य लड़कियों को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए मजबूत करना है। सिसोदिया ने कहा कि जब हम शिक्षा सुधार के बारे में बात करते हुए आज के दौर में इस बात तो करते हैं कि बोर्ड परीक्षा में लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है तो हमारे प्रयास सारे बर्बाद हो जाते हैं जब हम दिन प्रतिदिन के जीवन में लड़कियों की शिक्षा में आ रही कठिनाइयों पर नजर डालते हैं। 
आज के दौर में भी बहुत सारी लड़कियों को स्कूल में इस सोच के साथ भेजा जाता है की एक अच्छी डिग्री उन्हें एक अच्छी शादी को खोजने में मदद करेगी इसीलिए हमारा अभिभावकों के साथ समय-समय पर संवाद करना बेहद जरूरी है।
लड़की-लड़के में भेदभाव को करना होगा खत्म 
सिसोदिया ने बताया कि एक लड़की ने बताया की उसके घर पर शिक्षा को लेकर उसके भाई और उसके बीच में भेदभाव किया जाता है। उसका भाई प्राइवेट स्कूल में जाता है जबकि उसके माता-पिता को लगता है कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी नहीं है कि वह बच्ची को प्राइवेट स्कूल में भेज सकें। 
इस तरह से हम देख सकते हैं कि एक लड़की की जीवन में जब वह स्कूल आती है तो हजारों तरह की बाधाएं सामने आती हैं। यह एक बहुत ही पिछड़ी हुई सोच है जिसे बदलने की आवश्यकता है।

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